NOW HINDUSTAN korba सनातन शास्त्रों में अमावस्या तिथि का बहुत अधिक महत्व है यह पर्व हर माह की पंद्रहवीं तिथि पर मनाया जाता है ।एक वर्ष में 12 अमावस्या होती है और अमावस्या से ही हिंदू पंचांग में हर माह के आधे दिन व्यतीत हो जाते है ।
मां शारदा देवी धाम मैहर के वास्तु एवं ज्योतिर्विद पंडित मोहनलाल द्विवेदी ने बताया कि उदया तिथि के अनुसार सावन की हरियाली अमावस्या आज मनाई जाएगी। हरियाली अमावस्या का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना है, साथ ही इस दिन वृक्षारोपण और प्रकृति संरक्षण को प्रोत्साहित किया जाता है। अमावस्या, जिसे श्रावण अमावस्या भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है। यह पर्व श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार सावन माह की अमावस्या तिथि शनिवार को दोपहर 03 बजकर 24 मिनट पर शुरू हो चुकी है। वहीं, इसका समापन आज दोपहर 03 बजकर 50 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार सावन की हरियाली अमावस्या आज मनाई जाएगी। हरियाली अमावस्या का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना है, साथ ही इस दिन वृक्षारोपण और प्रकृति संरक्षण को प्रोत्साहित किया जाता है।
बने है अनेक शुभ योग
पंडित द्विवेदी ने बताया कि आज अनेक शुभ योग बनने से इस अमावस्या का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है । आज मन के कारक ग्रह चंद्रमा का भ्रमण सौरमंडल में कर्क राशि के पुष्प नक्षत्र में शनिवार की दोपहर 12 बजकर 40 मिनिट से शुरू हुआ है जो आज दोपहर 1 बजकर 49 मिनिट बजे तक रहेगा । कर्क राशि जलतत्व राशि होने के साथ ही चंद्रदेव की स्वराशि है इस प्रकार रविपुष्य का योग आज सूर्योदय से ही शुरू हो जाएगा जो दोपहर 1 बजकर 49 मिनिट तक रहेगा इसी के साथ सूर्योदय से दोपहर 1 बजकर 49 मिनिट तक सभी कार्यों में सफलता दिलाने वाला सर्वार्थ सिद्धि योग भी है जो इस पर्व की महत्ता को और बढ़ा रहा है ।
धार्मिक महत्व
हरियाली अमावस्या का धार्मिक महत्व अनेक पुराणों और शास्त्रों में वर्णित है। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना का श्रेष्ठ समय माना जाता है। इस दिन शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और अन्य पूजन सामग्रियां अर्पित करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। नारद पुराण के अनुसार श्रावण मास की अमावस्या को पितृ श्राद्ध, दान, होम और देव पूजा और वृक्षारोपण आदि शुभ कार्य करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
पूजा विधि
प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को स्वच्छ कर वहां पर शिवलिंग या भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें। हाथ में जल लेकर व्रत और पूजा का संकल्प करें। भगवान शिव के सामने आसन पर बैठकर ध्यान और प्रार्थना करें। शिव मंत्रों का उच्चारण करते हुए जल और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें। पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर का मिश्रण) से शिवलिंग का स्नान कराएं और पुनः शुद्ध जल से अभिषेक करें। इसके बाद शिवलिंग पर चंदन, अक्षत, और पुष्प अर्पित करें। भगवान शिव को बेलपत्र और धतूरा अर्पित करें। धूप और दीप जलाकर भगवान शिव की आरती करें। आरती के पश्चात भगवान शिव को फल और मिठाई का भोग अर्पित करें। ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें। शिव पुराण के अनुसार, इस मंत्र का जाप करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
वृक्षारोपण का महत्व
हरियाली अमावस्या के दिन वृक्षारोपण का विशेष महत्व है। इस दिन पेड़-पौधे लगाने से पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ धार्मिक पुण्य की प्राप्ति होती है। यह मान्यता है कि इस दिन वृक्षारोपण करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और घर-परिवार में शांति बनी रहती है। इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है। अन्न, वस्त्र, और धन का दान करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराना और उन्हें वस्त्र दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।