कार्यस्थल पर यौन उत्पीडऩ अधिनियम के रोकथाम हेतु विधिक कार्यक्रम……

Rajesh Kumar Mishra
Rajesh Kumar Mishra
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NOW HINDUSTAN korba छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के प्लान आफ एक्शन अनुसार 03 अगस्त को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के एडीआर भवन जिला न्यायालय परिसर कोरबा में कार्यस्थल में कार्य करने वाली महिलाओं के यौन उत्पीडऩ के रोकथाम हेतु जागरूक किये जाने हेतु विधिक जागरूकता शिविर सह कार्यशाला का आयोजन किया गया। उक्त अवसर पर सत्येन्द्र कुमार साहू, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के द्वारा सभी उपस्थित महिलाओं का अभिनंदन व स्वागत करते हुए कहा कि भारतीय सभ्यता का यह इतिहास रहा है कि महिलाओं को सबसे पहले बड़े सम्मानपूर्ण देखा जाता रहा है। उसके पश्चात् युग बदलता गया। महिलाओं को कई बार प्रताडि़त होना पड़ा, अपमान सहना पड़ा। उसके बाद नियम बनाये गये तथा सतीप्रथा का विरोध कर रोक लगाई गई और अब नया अधिनियम लागू किया गया कि यौन उत्पीडऩ के रोकथाम अधिनियम 2013 लागू किया गया। यौन उत्पीड़ऩ की घटना के रोकथाम करने तथा अधिनियम का प्रचार-प्रसार करने के लिये कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।

महिला जो हमारे घर को संवारती है संभालती है, व्यवस्था को वही कायम रखती है। अब महिलाएं भी कार्य करने के लिये बाहर जाते हैं, तो सजग रहने की आवश्यकता है। कार्यस्थल पर किसी के साथ महिला प्रताडऩा जैसी घटना सामने आती हैं तो तुरंत कार्यवाही करवाएं। पहले महिलाएं घर से निकलती नहीं थी अब शाम रात में भी महिलाएं स्वतत्रंता से आवागमन कर रही हैं। जहां महिलाएं प्रताडि़त हो रही हैं, वहां हम सबको जागरूक होने की आवश्यकता है। इस अधिनियम के तहत और विधिक गतिविधियों का आयोजन होना चाहिए, जिसके लिये आप सभी अपना अपना प्रस्ताव रख सकते हैं।

विशेष न्यायाधीश एस्ट्रोसिजिट एक्ट, कोरबा जयदीप गर्ग, ने कहा की कार्यस्थल पर यौन उत्पीडऩ अधिनियम के अंतर्गत हमें सतर्क और सावधान रहने की आवश्यकता है। महिलाओं को यह आवश्यक है कि जब उसके साथ कोई यौन उत्पीडऩ या अन्य किसी प्रकार के व्यवहार करता है जो अभद्रता पूर्ण हो तो महिला को शिकायत किसी अधिकारी के समक्ष रखता तो है, लेकिन जब कार्यस्थल पर यह घटना हो रही है तो महिला जोर से चिल्ला कर उसके व्यवहार का विरोध करें, जिससे पीडि़त महिला को हिम्मत भी मिलेगा और अपराधी दुबारा हरकत करने से हिचकिचायेगा।

प्रथम जिला अपर सत्र न्यायाधीश, कोरबा श्रीमती गरिमा शर्मा  के द्वारा कहा गया कि यौन उत्पीडऩ में सामने वाले का इंटेनशन देखना जरूरी हो जाता है। जब यौन उत्पीडऩ में विभिन्न तरह की धाराएं और उसमें इन्टेशन को देखना जरूरी होता है। कोई भी व्यक्ति यदि दुव्र्यव्हार करता है, तो संकोच किये बिना उसके खिलाफ एक्शन होना चाहिये तथा संबंधित अधिकारी के समक्ष निष्पक्ष रूप से रखना उचित होगा। हमारे विधिक साक्षरता शिविर लगाने का उद्देश्य ही यही है कि लोगों को यौन उत्पीडऩ से संबंधित जानकारी दे सकंे और संकोच को खत्म होना जरूरी है। कार्यस्थल पर महिलाओं को सिफ दो चीजों को ध्यान केन्द्रित करना आवश्यक है। एक एैसा माहौल जिसमें स्वतंत्रता महसूस हो। स्वतंत्रता से कार्य कर सकें। कार्यस्थल पर हमें बाधाएं पहुंचायी जाती हैं, तो हमें अधिकारी से शिकायत और अपना बचाव सुरक्षित करना आवश्यक हो जाता है। यदि एक बार कोई ऐसा व्यवहार करता है तो हम उसे अनदेखा कर सकते हैं, लेकिन बार-बार करने पर संज्ञानता में आना उचित होगा।

डी.एस.पी.श्रीमती नेहा वर्मा ने कहा कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीडऩ अधिनियम 2013 के तहत् कोई व्यक्ति कार्यकारिणी महिला को यौन उत्पीडऩ के अंतर्गत प्रताडि़त करता है तो उसे अपने उपर हावी नहीं होने देना चाहिये बल्कि उसकी इस हरकत को सक्षम अधिकारी के समक्ष रखना उचित होगा। इस प्रकार प्रीवेशन आफ सेक्युअल वाईलेंस भारत मेंं 2013 में कामकाजी महिलाओं के साथ होने वाले यौन उत्पीडऩ को रोकने के लिये अधिनियम बनाया गया है। जिसे पोश (प्रीवेशन आफ सेक्युअल हैरेसमेंट एट वर्कप्लेस) इसके तहत् शिकायत की जा सकती है। शारीरिक उत्पीडऩ जैसे हमारे बाल, कंधे, कपड़े या ऐसे जगह में छूना हम पसंद नहीं करते है या छूने को कोशिश बार-बार करता है। यौन उत्पीडऩ के अंतर्गत आता है। जिसकी शिकायत सक्षम अधिकारी के समक्ष होना चाहिये।
श्रीमती रजनी मारिया, जिला महिला संरक्षण अधिकारी के द्वारा कार्यस्थल पर कामकाजी महिलाओं के विरूद्ध होने वाले यौन उत्पीडऩ का अधिनियम क्योंं बनाया गया कि विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी।

कु. डिम्पल, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के द्वारा कार्यस्थल पर कामकाजी महिलाओं के यौन उत्पीडऩ अधिनियम बनाने का उद्देश्य क्या था, यौन उत्पीडऩ के इतिहास एवं होने वाले प्रभाव से संबंधित जानकारी प्रदान की। उपस्थित न्यायाधीश ओंकार प्रसाद गुप्ता, प्रधान न्यायाधीश, कुटुम्ब न्यायालय कोरबा, जिला अपर सत्र न्यायाधीश, श्रीमती ममता भोजवानी, ज्योति अग्रवाल, अश्वनी चतुर्वेदी, कृष्ण कुमार सूर्यवंशी, मुख्य न्यायिक मजि. सीमा प्रताप चन्द्रा, व्यवहार न्यायाधीश वरिष्ठ श्रेणी श्रीमती प्रतिक्षा अग्रवाल, मंजीत जांगड़े, नवनियुक्त व्यवहार न्यायाधीश लवकुमार एवं कार्यक्रम में उपस्थित पुलिस, महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं मितानीन एवं जिला न्यायालय कोरबा के महिला कर्मचारी, महिला पैरालीगल वॉलीण्टियर्स एवं इस कार्यक्रम को सफल बनाने में आवश्यक रूप से सहयोग प्रदान करने वाले कर्मचारी का आभार प्रकट किया गया।

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