NOW HINDUSTAN. Korba. राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) एवं छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा द्वारा जिला एवं तहसील स्तर पर 08 मार्च को सभी मामलों से संबंधित नेशनल लोक अदालत का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर न्यायालय परिसर में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन श्री सत्येंद्र कुमार साहू, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के अध्यक्षता में करते हुए नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ किया गया।
उक्त अवसर में प्रथम जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश श्रीमती गरिमा शर्मा, अपर सत्र न्यायाधीश एफ.टी.एस.सी पाॅक्सो एक्ट कोरबा डाॅ. ममता भोजवानी, तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश सुनील कुमार नंदे, अपर सत्र न्यायाधीश एफ.टी.सी कु. सीमा चंद्रा, मुख्य न्यायिक मजि. श्री शीलू सिंह, प्रथम व्यवहार न्यायाधीश वरिष्ठ श्रेणी न्यायालय के अतिरिक्त व्यवहार न्यायाधीश, श्रीमती प्रतीक्षा अग्रवाल, तृतीय व्यवहार न्यायाधीश वरिष्ठ श्रेणी सत्यानंद प्रसाद, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा, कु. डिम्पल, व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ श्रेणी श्री मंजीत जांगडे, श्रीमती रिचा यादव, श्री गणेश कुलदीप अध्यक्ष, जिला अधिवक्ता संघ, कोरबा, श्रीमती शिव कंवर, महिला उपाध्यक्ष, जिला अधिवक्ता संघ तथा जिला अधिवक्ता संघ के अन्य पदाधिकारियों तथा न्यायालयीन कर्मचारी गण उक्त कार्यक्रम में उपस्थित थे।
नेशनल लोक अदालत में न्यायालय में कुल 84016 प्रकरण रखे गये थे, जिसमें न्यायालयों में लंबित प्रकरण 6028 एवं प्री-लिटिगेशन के 77988 प्रकरण थे। जिसमें राजस्व मामलों के प्रकरण, प्री-लिटिगेशन प्रकरण तथा न्यायालयों में लंबित प्रकरणों के कुल प्रकरणों सहित 82070 प्रकरणों का निराकरण नेशनल लोक अदालत में समझौते के आधार पर हुआ। उक्त नेशनल लोक अदालत के सफल आयोजन हेतु जिला प्रशासन, पुलिस विभाग एवं अन्य विभागों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
तालुका स्तर में भी किया गया लोक अदालत का आयोजन,
राजीनामा आधार पर किया गया प्रकरण का निराकरण
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) नई दिल्ली व छ.ग. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशाानुसार एवं माननीय श्री सत्येन्द्र कुमार साहू, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के मार्गदर्शन में 08 मार्च को व्यवहार न्यायालय कटघोरा में नेशलन लोक अदालत का आयोजन किया गया। व्यवहार न्यायालय कटघोरा में कुल 07 खंडपीड क्रियाशील रहा। उक्त खंडपीठों में विभिन्न राजीनामा योग्य दांडिक एवं सिविल प्रकृति के प्रकरणों का निराकरण नेशनल लोक अदालत में समझौते के आधार पर हुआ।
सफल कहानी
प्रत्येक व्यक्ति को जीवन जीने तथा जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसों की आवश्यकता होती है, ऐसे में वृद्धजन जो शारीरिक रूप से कमजोर हो चुके है, वे मजबूरन बुढापे में अपने बच्चों पर निर्भर रहने लगते है। भरण-पोषण हेतु गुजारा भत्ता का भुगतान न केवल कानूनी अधिकार है, बल्कि बच्चों/परिजनों पर लगाया गया एक सामाजिक और नैतिक दायित्व भी है। ऐसे ही घटना जिला न्यायालय कोरबा के माननीय न्यायालय न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय कोरबा में विचाराधीन था, उक्त प्ररकण में आवेदिका के द्वारा प्रस्तुत आवेदन के अनुसार आवेदिका तथा अनावेदक का विवाह 27 अप्रैल, 2005 को हिन्दू रीति-रिवाज से संपन्न हुआ था, विवाह के लंबे समय तक आवेदिका के द्वारा कोई संतान की उत्पत्ति नही होने से आवेदिका तथा अनावेदक के बीच दाम्पत्य जीवन की डोर कमजोर हो चली तथा अनावेदक के द्वारा आवेदिका के प्रति क्रूरता बढ चली, अनावेदक आवेदिका से आए दिन गंदी-गंदी गालियों तथा मारपीट करने लगा, साथ ही साथ किसी अन्य लडकी को पसंद करता हूं, जो तुझसे कई गुना सुंदर है, तू बांझ है मुझे बच्चा नहीं दे सकी मैं उस लडकी से विवाह करूंगा, कह कर मानसिक प्रताडना देने लगा। एक दिन जबरदस्ती सहमति पत्र में आवेदिका के हस्ताक्षर लेकर 05.05.2022 को अन्य स्त्री से विवाह कर लिया, इसके बाद भी आवेदिका अपने ससुराल में ही रहती थी, इसी बीच अनावेदक के द्वारा आवेदिका को जान से मारने की कोशिश की गई। इससे तंग आकर आवेदिका के द्वारा धारा 144 भारतीय नागरिक सुरक्षा अधिनियम वास्ते भरण-पोषण के तहत कुटुम्ब न्यायालय कोरबा में आवेदन प्रस्तुत किया गया। जिसमें कई पेशी में लगातार मान. खंडपीठ के समझाईश तथा प्रयासों से 08 मार्च को आज नेशनल लोक अदालत में बिना किसी डर दबाव के आपसी सहमति से राजीनामा आधार पर लगातार 10 वर्षों से लंबित प्ररकण का निराकरण किया गया।
जिला न्यायालय कोरबा के माननीय न्यायालय न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय कोरबा में विचाराधीन प्रकरण जिसमें आवेदक के द्वारा प्रस्तुत आवेदन के अनुसार आवेदिका तथा अनावेदक का विवाह 02 अप्रैल, 2021 को हिन्दू रीति-रिवाज से संपन्न हुआ था, दोनों के संसर्ग से उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई। विवाह के पश्चात् ही अनावेदिका छोटी-छोटी बातों को लेकर वाद-विवाद करने लगी, तथा ससुराल वालों से अलग रहने को दबाव डालने लगी, लगातार विवाद करने पर आवेदक के द्वारा अनावेदिका को उसके मायके में रख कर उसके इच्छा अनुसार भरण-पोषण किया, कुछ समय पश्चात् अनावेदिका अपने ससुराल आई, परंतु फिर लगातार ससुराल वालों से वाद-विवाद कर घर छोड कर मायके चली आई। इससे तंग आकर आवेदक ने दाम्पत्य के पुर्नस्थापना हेतु आवेदन प्रस्तुत किया। जिसमें कई पेशी में लगातार मान. खंडपीठ के समझाईश तथा प्रयासों से 08 मार्च को नेशनल लोक अदालत में बिना किसी डर दबाव के आपसी सहमति से राजीनामा आधार पर लगातार 10 वर्षों से लंबित प्ररकण का निराकरण किया गया।
नेशनल लोक अदालत 08 मार्च 2025 में 10 वर्षों से लंबित आपसी विवाद का किया गया, निराकरण वर्ष के प्रथम नेशनल लोक अदालत में जमीन विवाद से संबंधित ऐसा प्रकरण जिसमें आवेदक एवं अनावेदक के मध्य मार-पीट के संबंध में विवाद होने से सन् 2015 से आज तक 10 वर्षो से लगातार विवादित होने से लंबित था। आपसी विवाद बार-बार बढ जाने से तथा आपसी रंजिश के चलते प्रकरण का निराकरण नहीं हो पा रहा था, ऐसे में मान. खंडपीठ के समझाईश तथा प्रयासों से 08 मार्च को नेशनल लोक अदालत में बिना किसी डर दबाव के आपसी सहमति से राजीनामा आधार पर लगातार 10 वर्षों से लंबितप्ररकण का निराकरण किया गया।
न्याय आपके द्वार घोष वाक्य को चरितार्थ करते हुए नेशनल लोक अदालत 08 मार्च में एक ऐसे मामले का भी निराकरण हुआ, जिसमें असहाय वृद्ध महिला की पुत्री के मृत्यु के बाद बेसहारा हो चली थी। घटना दिनांक 19.03.2022 को मृतका कु. सेजल राखोंडे अपने वाहन एक्टीवा से घर आ रही थी, तभी देर शाम अनावेदक ने मोटर सायकल वाहन चलाते हुए मृतिका को अपने चपेट में ले लिया, उक्त दुर्घटना के कारण लंबे उपचार के बाद आवेदिका की 21 वर्षीय जवान पुत्री की मृत्यु हो गई। मृतिका के पिता तथा आवेदिका के पति की पूर्व में ही मृत्यु हो चुकी थी, आवेदिका की पुत्री मात्र 21 वर्ष की थी तथा पढाई के साथ-साथ ब्यूटी पार्लर के द्वारा अपना घर चलाती थी, ऐसे में बेसहारा आवेदिका के बुढापे का सहारा नहीं रहा और वे बेसहारा हो गई। मामले में आवेदकगण ने अंतर्गत धारा 166 मोटर यान अधिनियम 1988 वास्ते क्षतिपूर्ति की राशि हेतु मान. न्यायालय के समक्ष अनुतोष हेतु आवेदन प्रस्तुत किया।
08.03.2025 को नेशनल लोक अदालत में मामला आने से खंडपीठ क्र 05 में माननीय श्री सुनील कुमार नंदे, अतिरिक्त मोटर यान दुर्घटना दावा अधिकरण कोरबा/तृतीय जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश कोरबा के समक्ष आवेदकगण व अनावेदक बीमा कंपनी के द्वारा संयुक्त रूप से समझौता कर आवेदन प्रस्तुत किया। इसमें हाइब्रीड नेशनल लोक अदालत का लाभ लेते हुए बेसहारा आवेदिका को 1100000/- ग्यारह लाख रूपए मात्र की राशि अवार्ड किया गया। जिसे अनावेदक बीमा कंपनी को 30 दिवस के भीतर अदा करने का निर्देश दिया गया। इस तरह नेशनल लोक अदालत ने आवेदक दंपति को जीवन जीने का एक सहारा प्रदान करने में अपना योगदान दिया।
प्रत्येक वर्ष की भांति इस बार भी लोक अदालत में वर्चअल तथा फिजिकल माध्यम से प्रकरणों की पैरवी किया जाकर राजीनामा आधार पर प्रकरणों का निराकरण किया गया। ऐसे ही एक प्रकरण मान. खंडपीठ श्री मंजीत जांगडे, न्यायिक मजि. कनिष्ठ श्रेणी कोरबा के न्यायालय में आवेदक जो हैदराबाद, राज्य तेलंगाना गया हुआ था, का विडियो काॅफ्रेंसिग के माध्यम से पैरवी तथा न्यायालय में प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर पहचान किया गया, जिसमें आवेदक तथा अनावेदक ने बिना डर-भय के अपना प्रकरण राजीनामा आधार पर निराकरण किया जाने में अपनी सहमती प्रदान की। इस प्रकार दूर घर बैठे उभयपक्षों को आज हाईब्रीड लोक अदालत ने न्याय दिलाने में अपनी महती भूमिका निभाई।
नेशनल लोक अदालत के माध्यम से मां बेटे एवं पति-‘पत्नी के मध्य चले आ रहे प्ररकण का सफलता पूर्वक राजीनामा कराकर निराकरण किया गया। नेशनल लोक अदालत का आयोजन व्यवहार न्यायालय करतला में व्यवहार न्यायाधीश् कनिष्ठ श्रेणी/अध्यक्ष तालुक विधिक सेवा समिति करतला, जिला कोरबा के न्यायालय के पीठासीन अधिकारी हेमंत राज धुर्वे, व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ श्रेणी करतला के द्वारा किया गया। उक्त लोक अदालत में थाना करतला के अपराध क्रमांक 99/2024 मां के द्वारा अपने छोटे लडके के खिलाफ शराब पीकर, मार-पीट किए जाने का अपराध पंजीबद्ध किया गया था, जिसे न्यायालय में प्रकरण पेश होने के पश्चात अपराध राजीनामा योग्य होने के आधार पर नेशनल लोक अदालत के सदस्यो के द्वारा समझाईश देकर प्रारंभिक स्तर पर राजीनामा के आधार पर समाप्त किया गया।
इसी प्रकार अन्य प्रकरण जिसमें आवेदिका का अनावेदक के साथ वर्ष 2020 में विवाह संपन्न हुआ था, कुछ दिन साथ रहने के पश्चात उनके मध्य आपसी विवाद होने पर न्यायालय में घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत आवेदिका के द्वारा आवेदन पेश किया गया था। न्यायालय एवं प्रकरण के अधिवक्ता गण के द्वारा प्रकरण के विचारण के दौरान उभयपक्ष को बार-बार राजीनामा किए जाने की समझाईश दिए जाने के पश्चात लगभग 05 वर्षो के पश्चात उभयपक्ष के मध्य राजीनामा होने से नेशनल लोक अदालत में प्रकरण समाप्त किया।