हाईकोर्ट के डिविजनल बैंच ने छोटे खातेदारों के पक्ष में सुनाया फैसला -एसईसीएल की याचिका को किया खारिज* *ऊर्जाधानी भूविस्थापित संगठन ने जताया आभार…..

Rajesh Kumar Mishra
Rajesh Kumar Mishra
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NOW HINDUSTAN छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिविजनल बैंच ने स्पष्ट कर दिया है कि एकल पीठ द्वारा हर खाते में रोजगार और पुनर्वास प्रदान करने के लिए दी गयी आदेश ही सही है और जिसके लिए एसईसीएल बाध्य है ।

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एसईसीएल द्वारा एकल पीठ में दिए गए उक्त आदेश के विरुद्ध याचिका लगायी थी और कोल इंडिया पालिसी 2012 के अनुसार रोजगार देने की अपनी नीति को जायज बताया गया था किंतु डिविजनल बैंच ने एसईसीएल की याचिका को खारिज कर दिया है और 1991 की पुनर्वास नीति जिसे मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ आदर्श पुनर्वास नीति कहा जाता है उसके अनुसार ही रोजगार पुनर्वास दिया जाना होगा ।

ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति ने हाईकोर्ट द्वारा भूविस्थापित परिवारों के पक्ष में दिये गए फैसले पर आभार व्यक्त किया है और कहा है कि एसईसीएल को माननीय हाईकोर्ट का आदेश का पालन करते हुये हर खाते में रोजगार उपलब्ध कराया जाये संगठन के अध्यक्ष सपुरन कुलदीप ने अपने बयान में बताया कि कोरबा जिले चारो एरिया के अलावा एसईसीएल की सभी क्षेत्र में वर्ष 2004 से लेकर 2009-10 में भूमि अधिग्रहण किया गया था और उस समय मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ आदर्श पुनर्वास नीति लागू थी किंतु रोजगार में कटौती के फार्मूला पर कोल इंडिया पालिसी 2012 के अनुसार 2 एकड़ में एक रोजगार को लागू कर लिया था जिसके कारण छोटे खातेदारों को भारी नुकसान हो रहा था जिसके खिलाफ सभी क्षेत्रों के किसानों ने अलग अलग याचिका लगाई थी जिसे माननीय उच्च न्यायालय ने समाहित कर एक साथ सुनवाई पूर्ण किया है और अपनी निर्णय दिया है जिससे भूविस्थापित परिवारों में आशा की किरण जगी है और न्यायपालिका पर विश्वास और बढ़ा है उन्होंने कहा कि एसईसीएल प्रबंधन राज्य प्रशासन की मदद लेकर आंदोलन को कुचलने का काम कर रही है ऐसे समय मे हाईकोर्ट के फैसले से राहत मिल सकता है ।

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