एसईसीएल-कुसमुंडा में तालाबंदी कर भू-विस्थापित महिलाओं ने किया गेट जाम आंदोलन शुरू…..

Rajesh Kumar Mishra
Rajesh Kumar Mishra
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NOW HINDUSTAN. Korba.  सार्वजनिक क्षेत्र के वृहद उपक्रम कोल् इंडिया की अनुसांगिक कंपनी एसईसीएल बिलासपुर के अधीन कोरबा-पश्चिम क्षेत्र में स्थापित खुले मुहाने की गेवरा कोयला परियोजना अंतर्गत एसईसीएल-कुसमुंडा की मेगा परियोजना से प्रभावित भू-विस्थापित महिलाओं ने अलसुबह से अनिश्चितकालीन आंदोलन की शुरुआत कर दी। रोजगार, बसाहट, पुनर्वास एवं अन्य मूलभूत सुविधाओं की वर्षों से लंबित समस्याओं के समाधान न मिलने से क्षुब्ध महिलाओं ने कुसमुंडा क्षेत्र के मुख्य महाप्रबंधक कार्यालय के मुख्य द्वार (दोनों गेट) पर ताला जड़कर गेट जाम कर दिया है। महिलाओं का कहना है कि अब समाधान के बिना वे पीछे हटने वाली नहीं हैं।

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भू-विस्थापित महिलाओं के इस समूह में गोमती केवट, काजल, इन्द्रा, सरिता, टिकैतराम बिंझवार, पूनम और मीना कंवर सहित अन्य महिलाएँ शामिल हैं। इन सभी ने स्पष्ट कहा है कि यदि आंदोलन के दौरान कोई अप्रिय स्थिति बनती है या कोयला उत्पादन प्रभावित होता है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी एसईसीएल प्रबंधन और जिला प्रशासन की होगी।

लगभग 22 वर्षों से कर रहे संघर्ष, फिर भी समाधान अधूरा

कुसमुंडा परियोजना से प्रभावित इन महिलाओं का कहना है कि वे लगभग 22 वर्षों से रोजगार, बसाहट और पुनर्वास से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए संघर्षरत हैं। इसके बावजूद उनकी समस्याएँ आज तक अनसुनी ही बनी हुई हैं।

बार-बार वादाखिलाफी से बढ़ा आक्रोश

महिलाओं ने बताया कि 17 नवंबर को भी उन्होंने SECL कुसमुंडा कार्यालय में गेट जाम आंदोलन किया था। उस दौरान मौके पर पहुंचे दर्री तहसीलदार ने 21 नवंबर को बैठक आयोजित कर समाधान देने का लिखित आश्वासन दिया था। लेकिन वादा पूरा न होने से महिलाओं का आक्रोश और बढ़ गया।

भू-विस्थापित महिलाओं का स्पष्ट वक्तव्य

हम कई बार गेट जाम, खदान बंद और अधिकारियों के चक्कर लगा चुके हैं। एसईसीएल एवं जिला प्रशासन के झूठे आश्वासनों ने हमें त्रस्त कर दिया है। 21 नवंबर की बैठक का वादा भी छलावा साबित हुआ। अब जब तक ठोस निर्णय नहीं लिया जाता, हम गेट नहीं छोड़ेंगे।”

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