सैकड़ों पात्र सहायक शिक्षकों को किया पदोन्नति से वंचित, छत्तीसगढ़ शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन ने कलेक्टर एवं डीईओ को दिया ज्ञापन

Rajesh Kumar Mishra
Rajesh Kumar Mishra
5 Min Read

कोरबा NOW HINDUSTAN जिले में प्रधान पाठक प्राथमिक शाला के पद पर पदोन्नति में हुए भर्राशाही एवं अनियमितताओं का मामला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। पहले दिनांक 14 अक्टूबर 2022 को जिले के 1145 सहायक शिक्षकों को प्रधान पाठक प्राथमिक शाला के पद पर पदोन्नति दिया गया। इसमें अनेको अपात्र सहायक शिक्षकों को पदोन्नति देकर कई पत्रों को पदोन्नति से वंचित किया गया यहां तक कि राज्यपाल पुरष्कृत सहायक शिक्षक तक को पदोन्नति से वंचित किया गया। पदोन्नति पश्चात पदस्थापना में भी भारी अनियमितता एवं भर्राशाही की गई। इस भर्राशाही के कारण का अनुमान तो सहज ही लगाया जा सकता है। इस बड़ी अनियमितताओं पर जिले के कलेक्टर के द्वारा संज्ञान में लेते हुए पूरे 1145 सहायक शिक्षकों की पदोन्नति निरस्त कर दिया गया था।

वर्तमान काउंसलिंग के बाद पदस्थापना में भी अनेकों अनियमितता बरती गई। आज दिनांक 25 मई को बड़ी संख्या में प्रभावित शिक्षक अपनी समस्या बताने और उसका निराकरण करने जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय कोरबा पहुचें। प्रभावित शिक्षकों ने बताया कि वे आपसी सहमति के आधार पर और आज की स्थिति में भी अगर कोई शाला रिक्त हैं वहां अपनी पदांकन परिवर्तन करने जिला शिक्षा अधिकारी के पास गुहार लगाने पहुचें हैं। तो वहीं कुछ शिक्षकों ने बताया कि 1145 में अनेकों अपात्र शिक्षकों के पदोन्नति होने से और हमें पात्र होने के बावजूद भी पदोन्नति से वंचित करने से हमारा भविष्य अंधकार मय हो गया है। हम अब जिला शिक्षा अधिकारी की गलती से अगले पदोन्नति से पूरे छत्तीसगढ़ में सबसे जूनियर हो जाएंगे।
इस संबंध में छत्तीसगढ़ शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के प्रांताध्यक्ष डॉ गिरीश केशकर ने पूरे विस्तार से बताया कि पहले दिनांक 14 अक्टूबर 2022 को 1145 सहायक शिक्षकों की पदोन्नति किया गया था उसमें अनेकों अपात्र सहायक शिक्षक को पदोन्नति देकर कई पात्र सहायक शिक्षकों को पदोन्नति से वंचित कर दिए। पदोन्नति निरस्त होने के बाद मामला कोर्ट में गया। कोर्ट से निराकृत होने के बाद पुनः काउंसलिंग के माध्यम से पदस्थापना की गई जिसमें 47 दिव्यांग, 306 महिला एवं 597 पुरूष सहायक शिक्षकों को शामिल किया गया एवं 132 सहायक शिक्षकों को न्यायालय से निराकृत मानते हुए उन्हें पहले ही पदस्थापना दे दी गयी और काउंसलिंग में शामिल नहीं किया गया। अर्थात 132 न्यायालय से निराकृत एवं 950 को काउंसलिंग के माध्यम से पदस्थापना दी गयी। कुल 1082 सहायक शिक्षकों को ही पदोन्नति पश्चात पदस्थापना दी गयी तो फिर पहले पदोन्नत हो चुके 63 प्रधान पाठक कहाँ गए। संयुक्त कलेक्टर की अध्यक्षता में पहले बनी काउंसलिंग कमेटी द्वारा पहले 1225 वरिष्ठता क्रमांक तक के सहायक शिक्षकों को काउंसलिंग में बुलाया गया। अगर उस समय काउंसलिंग होता तो 1225 वरिष्ठता क्रमांक वाले सहायक शिक्षकों की पदोन्नति हो जाती। तो फिर सिर्फ 1082 सहायक शिक्षकों की पदोन्नति कर सैकड़ों सहायक शिक्षकों को पदोन्नति से वंचित कर दिया गया। इससे उनका भविष्य अंधकारमय हो गया है। हमारे संगठन ने जिला शिक्षा अधिकारी से मांग किया है कि जिला शिक्षा अधिकारी की गलती से पदोन्नति से वंचित सभी सहायक शिक्षकों को दिनांक 14 अक्टूबर 2022 से ही पदोन्नति दिया जाना चाहिए। जिला शिक्षा अधिकारी की गलती की सजा निर्दोष सहायक शिक्षकों को नहीं मिलना चाहिए।
आगे डॉ. केशकर ने बताया कि अनेकों शिक्षकों ने आपसी सहमति एवं रिक्त शालाओं में अपने पदांकन परिवर्तन के लिए आवेदन किया है। जिला शिक्षा अधिकारी ने ही सबको विश्वास दिलाया था कि वे शिक्षक कार्यालय में आवेदन करें उनका निराकरण किया जाएगा। इस संबंध में पूर्व में जारी काउंसलिंग आदेश में भी उल्लेख था। पदांकन से असंतुष्ट शिक्षकों से अभ्यावेदन लेकर विधिवत काउंसलिंग करके उनके अभ्यावेदन का निराकरण करने शिक्षा विभाग मंत्रायल का भी आदेश था। उसके बावजूद समस्या का निराकरण नहीं करना सही नहीं है। जिला शिक्षा अधिकारी महोदय को अतिशीघ्र इन सभी समस्याओं का निराकरण करना चाहिए। यदि जल्द समस्या का निराकरण नहीं किया जाता है तो आगे संगठन के द्वारा आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।

Share this Article