NOW HINDUSTAN कला एवं साहित्य के लिए समर्पित अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती का “सामाजिक समरसता” पर केंद्रित चार दिवसीय अखिल भारतीय कला साधक संगम कर्नाटक के बैंगलुरु स्थित आर्ट ऑफ लिविंग अंतराष्ट्रीय केन्द्र में पूरे देश के विभिन्न प्रांतों से आए हुए लगभग 2000 से अधिक कला साधकों की उपस्थिति में संपन्न हुआ ।
इस चार दिवसीय कला साधक संगम में देश भर से आए कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी जिसमे पूर्वोत्तर राज्य के कला साधकों ने अपने पारंपरिक बांस नृत्य, झाऊ नृत्य, बांसुरी वादन की प्रस्तुति से समा बांधा तथा नाट्य मंचन “हिंदवा सहोदरा”, कर्नाटक प्रांत की भगवान राम निषाद प्रसंग, राम शबरी प्रसंग एवं राम सेतु पर केंद्रित नृत्य नाटिका, पश्चिम महाराष्ट्र द्वारा पोवाड़ा गोंधल एवं रासड़ो लोककला की प्रस्तुति, बाल शिवाजी पर केंद्रित नाटक,मुंबई द्वारा निर्देशित नाटक “कृष्ण कहे” का मंचन, छऊ लोकनृत्य, मराठी नृत्य नाटिका “वारी वारी जन्माची वारी”, विविध भारतीय भाषाओं में समरसता गीत “समरस संघ सरिता”, लोकनृत्य “बधाई तथा किंदर जोगी, हगलू वेशा, कुचुपुड़ी नृत्य “शबरी के राम”,प्रस्तुति दी।
इस दौरान भू अलंकरण और पेंटिंग की प्रदर्शनी लगी जिसमे कोरबा के जाने माने चित्रकार जिला पुरातत्व संग्रहालय कोरबा से जुड़े हरिसिंह क्षत्री की सूपकला , और उनके शिष्यों श्रेया साहू और शिवेंद्र सिंह की चित्रकला को प्रदर्शित किया गया जिसे बहुत ज्यादा सराहा गया,हरिसिंह जी हर तरह के चित्र कला के माहिर है वे सुपा नारियल, लकड़ी इत्यादि चीजों पर भी अपनी कलाकृति को उकेर कर जीवंत कर देते है।
बैंगलुरु में संस्कार भारती द्वारा आयोजित कला साधक संगम में देशभर से कुल 179 चित्र ही प्रदर्शित की गई थी , जिनमें छत्तीसगढ़ राज्य से केवल दस ही चित्र चयनित हो पाया था जिसमें से तीन कोरबा जिले से चयन हुआ था। जबकि हरि सिंह क्षत्री की सूपकला अपने आप में यूनिक चित्रकारी थी। जिसमें माता शबरी से भगवान राम से भेंट को दिखाया गया है। जो संस्कार भारती के अखिल भारतीय स्तर पर पहली बार प्रदर्शित हुआ था जिसे पुरे भारत के कलाकारों में विशेष सराहना मिली।
साथ ही समरसता विषय पर ही प्राचीन कला विधा से छत्तीसगढ़ राज्य से केवल दो का चयन हुआ जिसमें तालागांव का रुद्रशिव और उर्दू रामायण को ही स्थान मिल सका। हम सबके लिए बहुत बहुत खुशखबरी है। कर्नाटक राज्य के बंगलौर शहर में अखिल भारतीय कला साधक संगम शिविर का आयोजन समरसता विषय पर आयोजित थी। जिसमें हमारे छत्तीसगढ़ राज्य से भी दो का चयन सौहार्द प्रदर्शनी के लिए किया गया था। जिसमें छत्तीसगढ़ की टीम का सामुहिक प्रयास रहा है।
छत्तीसगढ़ राज्य से तीस से अधिक कलाकारों ने प्रांताध्यक्ष रिखी क्षत्रिय एवं महामंत्री हेमन्त माहुलिकर जी के कुशल नेतृत्व में अखिल भारतीय स्तर पर विशेष सराहना और सफलता प्राप्त किया है। साथ ही मध्य प्रांत से महाकाल की सवारी भी निकालकर भी सबसे अधिक सराहना प्राप्त किया है।