NOW HINDUSTAN. आईए जानते हैं जांजगीर चांपा लोकसभा के बारे में जांजगीर-चांपा लोकसभा सीट पहले कांग्रेस का गढ़ रहा है लेकिन 2004 के बाद यहां के जनता ने एक बार भी कांग्रेस को दोबारा मौका नहीं दिया है। 2004 में करुणा शुक्ला ने कांग्रेस के क़द्दावर नेता डॉ चरण दास महंत को हराया था । इसके बाद सेंट सीट रिजर्व होने के बाद भाजपा का ही कब्जा रहा।
जांजगीर – चांपा लोकसभा सीट का मामला काफी दिलचस्प रहा है। जांजगीर चांपा जिले की स्थापना 25 मई 1998 को हुई है। जांजगीर- चांपा छत्तीसगढ़ राज्य के मध्य स्थित होने के कारण इसे छत्तीसगढ़ राज्य के हृदय के रूप में माना जाता है। पहले यहां जांजगीर लोकसभा सीट थी जिसे 2009 में जांजगीर-चांपा कर दिया गया।
फिलहाल इस लोकसभा में जांजगीर-चांपा जिले की 3, सक्ती जिले के 3 और बलौदाबाजार और सारंगढ़- बिलागढ़ के एक-एक विधानसभा सीट शामिल है । इसमें जांजगीर- चांपा व सक्ती मिलकर 6 विधानसभा और कसडोल बिलाईगढ़ के एक-एक विधानसभा शामिल है इस बार पहली बार चार जिलों के मतदाता जांजगीर -चांपा लोकसभा के सांसद चुनेंगे । वर्तमान में विधानसभा नेता प्रतिपक्ष डॉ चरण दास महंत को इस सीट से तीन बार चुनाव लड़ने का मौका मिला, जिसमें वह दो बार विजय रहे और एक बार चुनाव हारे । डॉ चरण दास महंत को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की भतीजी करुणा शुक्ला ने 2004 में इस सीट से हराया था। ज्ञात हो कि 1984 में पहली बार भाजपा ने सीट पर अपना पैर जमाना शुरू किया। इससे पहले भारतीय जन संघ के रूप में पार्टी पांच बार दूसरे स्थान पर रही। भाजपा नेता दिलीप सिंह जूदेव ने पहली बार 1989 में पार्टी का खाता खोला और कांग्रेस के प्रभात मिश्रा को हरा दिया। अगली बार 1991 में कांग्रेस पार्टी के भवनीलाल वर्मा ने दिलीप सिंह जूदेव को हरा दिया । हालांकि 1996 में महाराणा लाल पांडे और 2004 में करुणा शुक्ला ने पार्टी को जीत दिलाई । पिछले चार चुनाव में यह सीट भाजपा के खाते में है। वर्तमान में गुहाराम अजगले यहां से सांसद है ।
यह अनुसूचित जाति वर्ग के लिए प्रदेश की एकमात्र आरक्षित सीट है । इसके चलते इस वर्ग के सभी बड़े नेताओं की नजर इस सीट पर रहती है। अधिकांश बार इस सीट पर लोकसभा क्षेत्र के बाहर के नेताओं का दबदबा रहा है। वर्तमान भाजपा के सांसद गुहाराम अजगले सारंगढ़ लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं। इसके पहले भी दिलीप सिंह जूदेव समेत अन्य नेताओं का दबदबा रहा है