NOW HINDUSTAN बलौदा बाजार जावेद आबिदी फेलो नेशनल सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ एम्प्लॉयमेंट फॉर डिसेबल्ड पीपल (एन सी पी ई डी पी) मे नेशनल फैलोशिप प्राप्त कृष्णा यादव जो स्वयं अस्थि बाधित है ने बताया कि नई ग्रामीण क्षेत्रों में दिव्यांग महिलाओं की स्थिति अत्यंत दयनीय स्थिति है। वे शासन की मूलभूत योजनाओं से अभी भी वंचित हैं। हमें एक समावेशी समाज बनाने के लिए दिव्यांग महिलाओं को अपने समाज के महत्वपूर्ण अंग के रूप में स्वीकारना जरूरी है। हर क्षेत्र में उनकी भागीदारी सुनिश्चित होना जरूरी है। उन्हें राजनीति में भी उम्मीदवार बनाने के लिए राजनीतिक पार्टियां को पहल करना चाहिए। समाज में घर परिवार में उन्हें किसी भी प्रकार का भेदभाव और हिंसा का सामना न करना पड़े विशेष ध्यान रखना जरूरी है। दिव्यांग महिलाओं की शादी नहीं हो पाती है, उन्हे और उनके परिवार वालो को जीवन साथी की तलास मे बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि हमारे समाज की पुरुषवादी मानसिकता हमें यही सिखाती है कि दुल्हन शारीरिक रूप से बहुत सुंदर और सक्षम हो जो पुरुषों की कामुक ईच्छा को पूर्ण कर सके। लेकिन आधुनिक समय में हमें समय के अनुसार इन निकृष्ट सोच से बाहर आने की जरूरत है। वर्तमान में दिव्यांगजनो को समाज में योग्यतानुसार रोजगार भी देने की नितांत आवश्यकता है ताकि वे आर्थिक रूप से भी आत्मनिर्भर बनें, और स्वयं अपना जीवन यापन अपने अनुसार और अपने आय से कर सके आत्म निर्भर बन सके।