जानवरों की प्यास बुझाने 97 लाख से 3 माह पहले बनाए 3 तालाब हल्की बारिश में फूटे….

Rajesh Kumar Mishra
Rajesh Kumar Mishra
4 Min Read

NOW HINDUSTAN कोरबा जिले के कटघोरा वनमंडल में जानवरों की प्यास बुझाने 97 लाख से 3 माह पहले बनाए 3 तालाब हल्की बारिश में फूट गए हैं। माना जा रहा हैं की सरकार की ओर से संबंधित विभाग को आबंटित राशि से गुणवत्ताहीन कार्य कराकर एक बड़े हिस्से की बंदरबांट हो रही है। पूर्व में भी कई मामले सामने आ चुके है और वर्तमान में भी आ रहे है, लेकिन शासन की ओर से कार्यवाही में उदासीनता के फलस्वरुप अधिकारियों के हौसले आसमान की बुलंदियों पर है।

जंगली जानवरों को गर्मी के सितम से बचाने के लिए तालाब बनवाया गया था। लेकिन उसमें भी भ्रष्टाचार हो गया। अब आलम ऐसा है कि पहली बरसात में ही निर्मित तालाब बह गया। जिसमे अधिकारी निर्माण कार्य पूर्ण नही होने की बात कह रहे है। ग्रीष्मकालीन समय मे पानी की तलाश में वन्यप्राणियों को भटकना न पड़े और जंगल छोड़ रिहायशी इलाकों की ओर रुख न कर सकें, इसके लिए पाली वन परिक्षेत्र के मुरली सर्किल अंतर्गत रतिजा बीट के कक्ष क्रमांक-599, रतिज व अंडीकछार के जंगल मे पोस्ट डिपोजिट फंड से 97 लाख के 3 तालाब निर्माण की स्वीकृति मिली। जिन तालाबों को 3 माह पहले विभाग ने बनवाया। लेकिन वन्यप्राणियों को गर्मी से बचाने के लिए उठाया गया यह कदम विफल साबित हो गया। तालाबों ने पहले ही बारिश में दम तोड़ दिया। रतिजा में निर्मित तालाब का बारिश के पानी से मेढ़ फूट गया व पिचिंग भी बह गया।

ग्रामीण दुबराज सिंह ने बताया कि उक्त तालाब निर्माण में एक से डेढ़ मीटर खोदाई का कार्य मशीन के माध्यम से कराया गया है। जिसमे नियमों को ताक पर रखकर पानी निकासी के लिए बनाए गए उलट नाला से तालाब का पानी नही निकल पाने के नतीजतन भराव के दबाव में मेढ़ के बीचो बीच का एक बड़ा हिस्सा फूट कर बह गया। वहीं इस तालाब निर्माण में पानी ठहराव के लिए एक ही मेढ़ तैयार किया गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि वन्य प्राणियों के लिए तालाब निर्माण की आड़ में सरकारी धन से घटिया काम कर अधिकतर राशि का गबन किया गया है। इसी प्रकार अंडीकछार के जंगल मे बने 2 अन्य डबरीनुमा तालाब भी बारिश से क्षतिग्रस्त हो गए है। जिन निर्माण को देखकर लगता कि स्वीकृत 97 लाख का आधा राशि भी खर्च नही हुआ होगा। इस तरह वन विभाग द्वारा लाखों रुपए से निर्मित भ्रष्ट्राचार का तालाब पानी मे बह गया।
मामले में क्या बोले जिम्मेदार ?

इस बारे में वन विभाग के उप वनमंडलाधिकारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि तालाब निर्माण का काम सही तरीके से हुआ है। पानी के दबाव के कारण मेढ़ का हिस्सा बहा है, जिसे सुधार कर लिया जाएगा व निर्माण कार्य अभी बांकी है। अब यहां पर एक बात समझ से परे है कि तालाब का निर्माण तो बारिश के पहले पूर्ण कर लिया जाता है, ताकि उसमे बारिश के पानी का भराव होने के साथ इसका लाभ मिल सके। लेकिन वन विभाग का यह कैसा तालाब जो बारिश में भी अधूरा है। ऐसे में जिस उद्देश्य को लेकर इसका निर्माण हुआ है, उसका लाभ मिलने में संचय है।

Share this Article