रासायनिक खाद के उपयोग से मिट्टी में पोटाश, नाइट्रोजन, फास्फोरस की हुई कमी…….

Rajesh Kumar Mishra
Rajesh Kumar Mishra
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NOW HINDUSTAN. Korba.  कोरबा जिले के कई क्षेत्रों में फसल की पैदावार बढ़ाने रासायनिक खाद का अधिक उपयोग कर रहे हैं। इससे मिट्टी में पोटाश, नाइट्रोजन, फास्फोरस के साथ ही जिंक की कमी पाई गई है। मिट्टी परीक्षण में इसका खुलासा हुआ है। इसके लिए किसानों को प्राकृतिक और जैविक खेती करने प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस साल 9200 किसानों को मिट्टी परीक्षण के बाद सॉइल हेल्थ कार्ड दिया है।

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रासायनिक उर्वरकों के अधिक उपयोग से भले ही पैदावार अधिक होती है, लेकिन मिट्टी की उर्वरता को प्रभावित करता है। मिट्टी के भौतिक गुण के खराब होने से पानी रोकने की क्षमता और वायुवाही गुण कम हो जाते हैं। मिट्टी में मौजूद केंचुए और अन्य उपयोगी सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं। इस वजह से मिट्टी खराब होती चली जाती है। इससे जमीन के बंजर होने का खतरा बढ़ जाता है। पाली, करतला, कटघोरा ब्लॉक के मैदानी क्षेत्रों में मिट्टी की गुणवत्ता पर अधिक असर देखने को मिला।

कृषि विभाग का कोरबा में मिट्टी प्रयोगशाला है, जहां 12 प्रकार की टेस्टिंग होती है। इसके बाद ही मिट्टी की उपजाऊ क्षमता का पता चलता है। किसानों को जमीन की उर्वरता क्षमता को कायम रखने खरीफ और रबी में अलग-अलग फसल लेने की सलाह देते हैं। जैविक खेती पर भी विशेष जोर दिया जा रहा है। कृषि विभाग ने पोड़ी ब्लॉक को जैविक ब्लॉक घोषित किया है। करतला ब्लॉक के किसान इससे आगे बढ़कर प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। इसमें रासायनिक खाद का उपयोग नहीं करते। पहले करीब 250 हेक्टेयर में जैविक और प्राकृतिक खेती होती थी, वह बढ़कर एक हजार हेक्टेयर तक पहुंच गई है।

विश्व मृदा दिवस (डब्ल्यूएसडी) हर साल 5 दिसंबर को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य स्वस्थ मृदा के महत्व पर ध्यान केंद्रित करना और मृदा संसाधनों के टिकाऊ प्रबंधन की वकालत करना है। वर्ष 2002 में अंतर्राष्ट्रीय मृदा विज्ञान संघ (आईयूएसएस) ने मृदा का जश्न मनाने एक अंतरराष्ट्रीय दिवस की सिफारिश की है।

डीपीएस कंवर, उपसंचालक, कृषि ने जानकारी देते हुए बताया की किसानों को मिट्टी के हिसाब से फसल लेने की सलाह दी जाती है। गोबर खाद मिट्टी की उर्वरता क्षमता कायम रखने में सहायक है। फसल के अवशेष जलाने से भी मिट्टी को नुकसान होता है। इसके लिए भी किसानों को जागरूक कर रहे हैं। किसान स्वयं भी मिट्टी परीक्षण करा सकते हैं। मिट्टी में जो भी कमी पाई गई है, उसे दूर करने किसानों को हेल्थ कार्ड दिया जा रहा है।

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