कोरबा NOW HINDUSTAN छठ पूजा का त्यौहार अत्यंत ही पवित्र और पावन त्यौहार है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छठ पूजा का त्यौहार प्रत्येक वर्ष दो बार मनाया जाता है. एक चैत्र महीने में और एक कार्तिक महीने में.
कार्तिक माह में मनाई जाने वाली छठ पूजा के समान ही चैती छठ पूजा भी अत्यंत ही पवित्र और महत्वपूर्ण त्यौहार है.चैती छठ पूजा में भी सभी विधि-विधान समान ही होती है।
छठ पूजा मुख्यतः चार दिनों की पूजा होती है. नहाय खाय से शुरू होती है और पारण के साथ समाप्त होती है.
इस साल यानी की 2023 में चैती छठ पूजा 25 मार्च 2023 को नहाय खाय से शुरू हुई और 28 मार्च 2023 को प्रातः कालीन अर्घ्य और पारण के साथ समाप्त होगी
छठ पूजा में भगवान सूर्य देव की आराधना और स्तुति की जाती है. संध्या अर्घ्य के दिन भगवान सूर्य को अस्त होते समय अर्घ्य दिया जाता है और उसके अगले दिन उगते हुए सूर्य को सूर्योदय का अर्घ्य दिया जाता है.
इस साल चैती छठ में नहाय खाय 25 मार्च 2023 दिन शनिवार को मनायी गई ।. इस दिन सम्पूर्ण स्वच्छता का ध्यान रखते हुए व्रत के लिए गेहूं और चावल को धोकर सुखाया जाता है. इस दिन लौकी और भात बनाया जाता है.नहाय खाय के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान किया जाता है. नहाय खाय के अगले दिन खरना से व्रत की शुरुआत हो जाती है.
चैती छठ खरना 26 मार्च दिन रविवार को सम्पन हुआ । इस दिन छठ व्रती दिन भर उपवास रखती है. सायंकाल में आम और अन्य लकड़ी के जलावन का इस्तेमाल करके चूल्हे पर गुड़ की खीर बनायीं जाती है. इसे प्रसाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
पूजन के पश्चात व्रती और अन्य इसे ग्रहण करतें हैं. इसके पश्चात व्रती का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है, जो की प्रातः अर्घ के पश्चात ही समाप्त होता है इस साल चैती छठ संध्या अर्घ्य 27 मार्च दिन सोमवार को दिया गया है. इस दिन व्रती किसी नदी या सरोवर में खड़े होकर अस्त होते सूर्य देव को अर्घ्य देती है.
28 मार्च मंगलवार को इस दिन उदय होते सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाएगा । इसके पश्चात ही छठ व्रती का व्रत पारण के पश्चात समाप्त होगा । खासकर यह पर्व पूर्वांचल के लोगो के द्वारा मनाया जाता है .चैत छठ पूजा में इतनी धूम नही होती जितनी कार्तिक में हों होती है ।