प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कटघोरा तहसील के रजिस्ट्रार व पटवारियों को पूछताछ के लिए किया तलब…

Rajesh Kumar Mishra
Rajesh Kumar Mishra
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कोरबा NOW HINDUSTAN  प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कटघोरा रजिस्टार कार्यालय में दबिश दी थी। कटघोरा में दोपहर 12 बजे से शुरू हुई कार्रवाई गुरुवार की रात लगभग 10.15 बजे तक जारी रही। प्रवर्तन निदेशालय ने कटघोरा के उप पंजीयक (सब रजिस्टार) से कई घंटे तक जमीन रजिस्ट्री की प्रक्रिया के संबंध में पूछताछ की गयी। कार्रवाई में मदद के लिए दो पटवारियों को बुलाया गया। जॉच के बाद प्रवर्तन निदेशालय द्वारा रजिस्ट्रार उप पंजीयक सत्यप्रकाश गौराहा व पटवारी जितेंद पटेल को समन जारी कर कार्यालय में पूछताछ के लिए तलब किया है।
तहसील कार्यालय कटघोरा में उप पंजीयक कार्यालय में जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय के अफसर पटवारियों से यह जानने की कोशिश कर रहे थे कि जमीन के बड़े हिस्से को छोटे टुकड़ों में कैसे बांटा जाता है ? इसकी रजिस्ट्री कैसे होती है ? इसके लिए किन-किन दस्तावेजों की जरुरत पड़ती है ? इसके अलावा प्रवर्तन निदेशालय की ओर से अन्य सवाल भी पूछे गए। बताया जा रहा हैं की इससे दोनों पटवारी डर कर कार्रवाई के बीच भाग गए थे।
कार्रवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय का सहयोग करने पहुंचे दोनों पटवारियों से पूछा कि किस आधार पर आप ने लिखा कि यह जमीन एचएच के लिए अधिग्रहित नहीं है। इस पर पटवारियों ने एक रजिस्टार कार्यालय से जुड़े एक अफसर का नाम बताया। कहा कि अफसर के कहने पर उनके द्वारा लिखा गया था। इस मसले को लेकर ईडी की टीम दोनों पटवारियों का बयान दर्ज कर रही थी। लेकिन बयान दर्ज करने की प्रक्रिया से पटवारी संतुष्ट नहीं थे। मौका मिलते ही दोनों पटवारी भाग गए।
बताया जाता है कि राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए जमीन अधिग्रहण को लेकर जिला प्रशासन की ओर से पहले राजस्व संहिता की धारा-6 का प्रकाशन किया गया। कुछ दिन बाद धारा-4 का प्रकाशन हुआ। इसके साथ ही हाइवे के लिए अधिग्रहित जमीन की खरीदी बिक्री पर रोक लग गई। अधिग्रहित जमीन का खसरा नंबर रजिस्टार कार्यालय को उपलब्ध कराया गया था। मगर रोक के बाद भी कटघोरा क्षेत्र में हाइवे के लिए अधिग्रहित जमीन को टुकड़ों में बांटकर खरीदी बिक्री का काम होता रहा। इसके लिए संबंधित क्षेत्र के पटवारी ने रजिस्ट्रार कार्यालय को एक प्रतिवेदन दिया। इसमें बताया गया कि उक्त जमीन हाइवे के लिए अधिग्रहित नहीं हुआ है। जबकि वह जमीन हाइवे के लिए अधिग्रहित थी। ऐसा करना सरकारी खजानों को नुकसान पहुंचाना है।
अब देखने वाली बात होगी कि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा रजिस्ट्रार व पटवारियों से पूछताछ के दौरान क्या मामला सामने आता है और कौन-कौन अधिकारी/कर्मचारी प्रवर्तन निदेशालय की रडार में आते हैं यह प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ में सामने आएगा। फिलहाल कटघोरा रजिस्ट्रार कार्यालय में हुए फर्जीवाड़ा व ईडी की जांच का विषय कटघोरा नगर में चर्चा का विषय बना हुआ है।

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