कोरबा NOW HINDUSTAN जांजगीर चांपा जिले के ग्राम पंचायत तालदेवरी मे ग्रामीण इलाकों में तेजी से पांव पसार रहा है आई फ्लू, इलाज की कोई व्यवस्था नहीं,ग्रामीण इलाकों में आई फ्लू तेजी से पांव पसार रहा है। जिसका असर अस्पतालों में देखने को मिल रहा है। बता दें की सबसे अधिक चपेट में बच्चे वह युवा आ रहे हैं। सबसे पहले आंख लाल हो जा रहा है तथा आंखों में जलन की शिकायत हो रही है। जिसको लेकर ग्राम तालदेवरी के लोग सहमे हुए हैं। वहीं विशेषज्ञ डॉक्टरों के अनुसार आंखों के कंजक्टिवाइटिस में ब्लड जमा हो रहा है। इसके कारण सूजन व आंखों का सफेद भाग लाल हो रहा है। लोगों का कहना है कि आई फ्लू जिससे बोलचाल की भाषा में लोग आंख आना कहते हैं जिसके कारण बच्चों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके जद में युवा भी आ रहे हैं। सबसे अधिक विद्यालयों में पढ़ने जाने वाले बच्चों पर इसका प्रभाव देखने को मिल रहा है। कई बच्चे आई फ्लू के कारण विद्यालय भी नहीं जा पा रहे हैं। विद्यालयों में बच्चों की संख्या आई फ्लू के कारण कम दिखाई दे रही है।
*ग्रामीण इलाकों में नहीं है इलाज की कोई व्यवस्था* : बता दें कि ग्रामीण इलाकों में आई फ्लू के इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है। स्वास्थ विभाग के द्वारा भी आई फ्लू के इलाज को लेकर कोई व्यवस्था ग्रामीण इलाकों में नहीं किया गया है। ग्रामीण इलाकों में संचालित होने वाले पीएचसी, एपीएससी तथा हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर दवाओं की कमी देखी जा रही है। आंखों में डालने वाले ड्रॉप दिया जा रहा है। आंखों के विशेषज्ञ नहीं होने के कारण लोगों को यह जानकारी नहीं हो पा रहा है, इससे बचाव के क्या उपाय हैं।
ऐसे में लोग मिथ्या डॉक्टरों के भरोसे आई फ्लू होने पर इलाज करवा रहे हैं कई लोग तो घरेलू इलाज भी कर रहे हैं। दूसरी ओर जिला अस्पताल में आई फ्लू के मरीजों में प्रतिदिन बढ़ोतरी देखी जा रही है। अस्पताल कर्मियों के मुताबिक प्रतिदिन 200 से 300 की संख्या में मरीज आई फ्लू के जिला अस्पताल में पहुंच रहे हैं। जबकि कोई विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं होने के कारण मरीजों को आई ड्रॉप देकर घर भेजा जा रहा है। ग्रामीण इलाकों में जागरूकता अभियान भी इसको लेकर नहीं चलाया जा रहा है।
आई फ्लू संक्रामक बीमारी है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तेजी से फैलता है। आई फ्लू का मुख्य कारण धुआं, धूल, पालतु जानवरों के डैंड्रफ, केमिकल या एलर्जी व जलन करने वाली गैर संक्रामक चींजे हैं। यदि संक्रामक व्यक्ति छींकता है तो इसका प्रसार तेजी से होता है। आई फ्लू से ठीक होने में कम से कम 5 से 10 दिनों का समय लग सकता है।
*बचाव व सावधानियां जरूरी* ▪︎हाथों को साबुन से साफ करें ▪︎भीड़ भाड़ वाली जगहों पर न जाए ▪︎संक्रमित व्यक्ति से हाथ न मिलाएं ▪︎आंखो को ठंडे पानी से धोएं ▪︎संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें ▪︎तौलिया, चश्मा शेयर न करें ▪︎मरीज आंखों पर बार बार हाथ न लगाएं
आमतौर पर शरीर के अंगों में आंख सेंसेटिव अंग होता है। फिलहाल फ्लू का खतरा ग्रामीण इलाकों में भी बढ़ने लगा है। ऐसे में ग्रामीण स्तर पर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा लोगों को जागरुकता के लिए अभियान चलाया जाना चाहिए। किस प्रकार से बचाव हो तथा यदि आई फ्लू हो जाए तो लोगों को क्या क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।