राखड़ की शत-प्रतिशत उपयोगिता नहीं हो पा रही सुनिश्चित, बिजली संयंत्र हो रहे नाकाम …..

Rajesh Kumar Mishra
Rajesh Kumar Mishra
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कोरबा NOW HINDUSTAN  कोरबा जिले के बिजली संयंत्रों से निकलने वाले राखड़ का निपटारा एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। इस समस्या से निपटने बिजली संयंत्रों को राखड़ के शत-प्रतिशत उपयोगिता सुनिश्चित करने में नाकाम साबित हो रहे हैं। एक प्रकार से देखा जाए तो राख की उपयोगिता के मामले में जिले के कई बिजली संयंत्र फेल हैं। इससे न सिर्फ पर्यावरण बल्कि लोगों की सेहत पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

बिजली संयंत्रों के ऐश डायक भर चुके हैं और नए बाँध के लिए जगह नहीं रही। इससे निपटने कोयला खदानों के बंद हिस्से में राख भरने की योजना पर काम शुरू हुआ है। लेकिन इसके बाद भी बिजली संयंत्र राखड़ की शत-प्रतिशत उपयोगिता सुनिश्चित नहीं कर पा रहे हैं। माना जा रहा हैं की भविष्य मे परेशानी और बढ़ेगी, जिससे निपटना मुश्किल होगा। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार बीते एक साल में जितना राखड़ जिले के बिजली संयंत्रों से निकला उसका उपयोग नहीं हो पाया। राखड़ के उपयोग के मामले में फेल बिजली प्लांटों को पहले भी एनजीटी नोटिस थमा चुका है।

जिले में 13 बिजली प्लांट हैं। लेकिन राख की उपयोगिता के मामले में प्रमुख बिजली संयंत्र जैसे एनटीपीसी, एचटीपीपी, डीएसपीएम, संयंत्र पीछे चल रहे हैं। इन संयंत्रों से उत्सर्जित राखड़ की उपयोगिता 60 फीसदी से कम हैं। कोरबा पूर्व व बालको में भी समस्या हैं। बिजली संयंत्रों के लिए बने सभी राखड़ डेम भर चुके हैं। बिजली उत्पादन के लिए बांधों की ऊंचाई बढ़ाकर किसी तरह से काम चलाया जा रहा है।

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