वट सावित्री व्रत के दिन सोमवती अमावस्या का विशेष संयोग,पति की दीर्घायु के लिए सुहागिनें रखेंगी व्रत……

Rajesh Kumar Mishra
Rajesh Kumar Mishra
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NOW HINDUSTAN.  कोरबा. वट सावित्री व्रत पर के सोमवती अमावस्या और अमृत योग का अद्भुत संयोग बन रहा है, इसलिए सुहागिनों का व्रत रखना अत्यंत लाभकारी माना जा रहा है। इस दिन वट (बरगद) की पूजा का विशेष महत्व है। इसे लेकर महिलाओं ने तैयारी अभी से शुरू कर दी है।

वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को किया जाता है। इस बार अमावस्या 26 मई को दोपहर 12.11 बजे से प्रारंभ होगी और समापन मंगलवार की सुबह 8.31 बजे होगी। सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य के लिए व्रत रखेंगी। वट वृक्ष के नीचे देवी सावित्री, भगवान सत्यवान और यमराज की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाएगी। इसके बाद देवी सावित्री के त्याग, पति के प्रति प्रेम और पति व्रत धर्म का स्मरण करेंगी। मान्यता है कि इस दिन यह व्रत महिलाओं के लिए सौभाग्यवर्ध, पापहारक, दुखः प्रणाशक और धन-धान्य प्रदान करने वाली होती है। वट वृक्ष में भवगान ब्रम्हा, शिव, विष्णु एवं स्वयं सावित्री भी विराजमान रहती हैं। विवाहित महिलाएं व्रत रखकर पति की दीर्घायु और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करेंगी। व्रत को लेकर महिलाओं में खासा उत्साह है। इसकी तैयारी में महिलाएं अभी से जुट गई हैं।

व्रत को लेकर बाजार होने लगा गुलजार

व्रत को लेकर बाजार गुलजार हो गया है। महिलाएं चूड़ी, मेहंदी सहित अन्य पूजा और श्रृंगार की सामाग्रियों खरीदने के लिए श्रृंगार की दुकानें पहुंचने लगे हैं।. इससे पावर हाउस रोड, टीपी नगर, बुधवारी बाजार, घंटाघर, निहारिका, मुड़ापार बाजार सहित अन्य बाजारों में चहल-पहल बढ़ गई है। इसी के साथ बाजार गुलजार होने लगा है।

ये है पूजा विधि

वट सावित्री व्रत करने के लिए रक्षा सूत्र, रोली, चंदन, सिंदूर, सुपारी, नारियल, दीपक, कलश, इत्र, लाल वस्त्र, मिष्ठान तथा मौसमी फल रखकर वट वृक्ष के पास भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। कच्चा सूत्र लपेटते हुए वट वृक्ष की परिक्रमा करनी चाहिए।

शनि जयंती 27 को, मंदिरों में होंगे विशेष पूजा-अनुष्ठान

शनि जयंती इस साल 27 मई को मनाई जाएगी। ज्येष्ठ मास की अमावस्या 26 मई को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगी और यह 27 मई को सुबह 8 बजकर 31 बजे खत्म होगी। उदया तिथि के अनुसार शनि जयंती 27 मई को मनाई जाएगी। ज्योतिषाचर्य के अनुसार ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अमवस्या सोमवार को न्याय और कमऊ फलदाता भगवान शनि जन्म हुआ था। इस बार शनि जयंती पर बेहद लाभदायक बताया जा रहा है। इस दिन भगवान शनि की पूजा और दान करने से विशेष महत्व होता है।

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