विनायक चतुर्थी आज,हिंदुओं में धार्मिक महत्व…..

Rajesh Kumar Mishra
Rajesh Kumar Mishra
4 Min Read

NOW HINDUSTAN. विनायक चतुर्थी का हिंदुओं में धार्मिक महत्व है। यह दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित है। चतुर्थी शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के दौरान आती है। इस शुभ दिन पर, लोग उपवास रखते हैं, प्रार्थना करते हैं और पूजा अनुष्ठान करते हैं। विनायक चतुर्थी हर महीने शुक्ल पक्ष के दौरान आती है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के रूप में जाना जाता है।

माँ शारदा देवी धाम मैहर के ज्योतिष मार्तंड पंडित मोहन लाल द्विवेदी ने बताया की विनायक चतुर्थी हिंदुओं के बीच एक बड़ा धार्मिक महत्व रखती है। यह दिन पूरी तरह से भगवान गणेश को समर्पित है। लोग व्रत रखते हैं और भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते हैं।

चतुर्थी एक महीने में दो बार शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में आती है। विनायक चतुर्थी शुक्ल पक्ष के दौरान और संकष्टी चतुर्थी कृष्ण पक्ष के दौरान आती है।

विनायक चतुर्थी का महत्व
==================
हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी का बड़ा धार्मिक महत्व है। यह दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित है। विनायक चतुर्थी हर माह शुक्ल पक्ष के दौरान आती है। इस शुभ दिन पर, लोग व्रत रखते हैं और भगवान गणपति की पूजा करते हैं।

भगवान गणेश को सभी विघ्नहर्ता के रूप में जाना जाता है और जो व्यक्ति भगवान गणेश की पूजा करता है, उसे सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है।

विनायक चतुर्थी की पूजा विधि
====================
1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
2. भगवान गणेश की मूर्ति रखें और देसी घी का दीया जलाएं।
3. पीले फूलों की माला, दूर्वा घास और बूंदी के लड्डू चढ़ाएं।
4. भगवान गणेश मंत्र और आरती का पाठ करें।
5. लोग मंदिर जाते हैं और भगवान गणेश को बूंदी के लड्डू का भोग लगाते हैं।

6. व्रत रखने वाले लोग शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद अपना व्रत खोल सकते हैं।
चतुर्थी तिथि का समय
====================
फाल्गुन शुक्ल चतुर्थी 13 मार्च 2024 चतुर्थी तिथि प्रारंभ – मार्च 13, 2024 – 04:03 पूर्वाह्न चतुर्थी तिथि समाप्त – मार्च 14, 2024 – 01:25 पूर्वाह्न

व्रत की पौराणिक कथा
=================
एक बार देवी पार्वती ने शिवजी ने चौपड़ खेलना शुरू किया लेकिन इस खेल में मुश्किल थी कि हार-जीत का फैसला कौन करेगा। इसलिए घास-फूस से बालक बनाकर उसमें प्राण प्रतिष्ठा की गई। इस खेल में तीन बार देवी पार्वती जीतीं। लेकिन उस बालक ने कहा महादेव जीते। इस पर देवी पार्वती ने बालक को कीचड़ में रहने का श्राप दिया। बालक के माफी मांगने पर माता पार्वती ने कहा कि एक साल बाद नागकन्याएं यहां आएंगी। उनके कहे अनुसार गणेश चतुर्थी व्रत करने से तुम्हारे कष्ट दूर होंगे। इसके बाद बालक की उपासना से गणेश जी प्रसन्न हो गए।

गणेशजी ने उसे अपने माता-पिता यानी भगवान शिव-पार्वती को देखने के लिए कैलाश जाने का वरदान दिया। बालक कैलाश पहुंच गया। वहीं माता पार्वती को मनाने के लिए शिवजी ने भी 21 दिन तक गणेश व्रत किया और पार्वतीजी मान गईं। फिर माता पार्वती ने भी अपने पुत्र से मिलने के लिए 21 दिन तक व्रत किया और उनकी ये इच्छा पूरी हो गई। माना जाता है वो बालक ही भगवान कार्तिकेय हैं।

Share this Article

You cannot copy content of this page