जिले के कुछ सेंटर में हुई धान खरीदी की बोहनी, खेतों में धान कटाई जोरों पर ……

Rajesh Kumar Mishra
Rajesh Kumar Mishra
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NOW HINDUSTAN. Korba.  प्रदेश सरकार की नीति के अंतर्गत किसानों से उनके खेतों में उत्पादित धान की खरीदी समर्थन मूल्य पर शुरू हो गई है। कोरबा जिले में 65 खरीदी केंद्र बनाए गए हैं। 14 नवंबर को कुछ स्थान पर बनी हुई और इसी के साथ तीन दिन की छुट्टी हो गई, यानी इतने दिन यहां पर किसी प्रकार के कार्य नहीं होंगे।

गत वर्ष 20000 से ज्यादा किसानों ने अपना पंजीयन धान बेचने के लिए कराया था। अबकी बार इस संख्या में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन धान उपार्जन केंद्रों की संख्या में किसी प्रकार की बढ़ोतरी नहीं की गई है। बताया गया कि कोरबा जिले में 41 समितियां के अंतर्गत 65 उपार्जन केंद्र पिछले वर्ष थे, जिसमें किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया गया है। प्रशासन के साथ-साथ उपार्जन की व्यवस्था करने वाले विभाग ने महसूस किया है कि जितने केंद्र बनाए गए हैं वह पर्याप्त हैं और अब इस बारे में और किसी प्रकार की आवश्यकता महसूस नहीं की जा रही है। नीतिगत रूप से समर्थन मूल्य पर धान खरीदने को लेकर जो कार्यक्रम तैयार किया गया। उसके अंतर्गत संबंधित निरीक्षण पहले ही कर लिया गया और तैयारी की समीक्षा की गई। 14 नवंबर से उपार्जन का कार्य प्रारंभ किया गया। समय पर धान की बोनी किए जाने और मौसम की अनुकूलता से अनेक स्थान पर फसल परिपक्व हो गई, जिसे किसानों ने सही समय पर काटा और बेचने में रुचि दिखाई। खरीदी के पहले दिन ही कई उपार्जन केंद्र में श्रीगणेश हो गया।

इसके अगले ही दिन गुरु नानक जयंती और कार्तिक पूर्णिमा पर अवकाश की घोषणा कर दी गई। इसके अगले दिन शनिवार और फिर दूसरे दिवस रविवार होने से अवकाश है। इस तरह लगातार तीन दिन अवकाश की स्थिति बनी है और इस अवधि में कोरबा जिले के सभी उपार्जन केंद्रों में खरीदी संबंधी गतिविधियां ठप्प रहेगी। इसके अलावा मौके से किसानों के लिए टोकन काटने जैसा काम भी नहीं होना है। इतना जरूर है कि व्यवस्था संचालित होने के दौरान जिन किसानों ने आगामी कार्य दिवस के लिए टोकन कटवाए हैं, उनकी धान सोमवार से प्रक्रिया में शामिल हो सकेगी। जानकारी के अनुसार किसानों से प्रति हेक्टर 21 क्विंटल अधिकतम मात्रा को लेने के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन इसमें भी अंतिम रूप से गिरदावरी और अनाबरी रिपोर्ट को मान्य किया जाएगा। कहां गया है कि सत्यापन के दौरान रकबा में जितनी मात्रा की उपस्थिति मिली है, उसके हिसाब से ही उपार्जन किया जाना है। स्पष्ट रूप से निर्देश दिए गए हैं कि लक्ष्य चाहे जो भी निर्धारित किया गया है लेकिन पूर्व रिपोर्ट के आधार पर ही खरीदी का काम जिले के सभी उपार्जन केदो के स्तर पर होना है।

* लगातार अवकाश से कैसे आएगी कसावट

दावे किए जा रहे हैं कि प्रशासन से संबंधित सभी क्षेत्रों में कामकाज को लेकर कसावट लाई जाए। अधिकारियों और कर्मचारी की जवाबदेही तय करने पर भी बात की जा रही है और दिशा-निर्देश दिए जा रहे हैं। उपार्जन से संबंधित काम की निगरानी को लेकर अधिकारियों को दायित्व दिया गया है। 14 नवंबर से शुरू हुआ उपार्जन का काम जनवरी अंतिम तक चलना है। जानकारों का कहना है कि सप्ताह के कार्य दिवस पहले से ही 5 दिन तक सिमट गए हैं। इन सब के बीच रविवार और अन्य कारण से होने वाले अवकाश के दौरान उपार्जन संबंधित गतिविधियां बाधित होने के कारण कई प्रकार की परेशानियां लक्ष्य पूर्ति और विक्रय के मामले में संबंधितों को हो सकती हैं।

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