बरमकेला में हुआ आरएसएस का पथ संचलन, व्यक्तित्व को गढ़ने के लिए जो विचारधारा आवश्यक है वो हमें संघ से मिलता है: डॉ.प्रकाश मिश्रा

Rajesh Kumar Mishra
Rajesh Kumar Mishra
5 Min Read

बरमकेला।विश्व के सबसे शक्तिशाली हिन्दू संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस वर्ष अपना‌ 97 वा स्थापना वर्ष मना रहा है।
हर साल आरएसएस विजयादशमी के मौके पर शक्ति की उपासना करता है और स्वयंसेवक पथ संचलन करते हैं।

ज्ञात हो कि संघ की स्थापना 1925 में नागपुर स्थित मोहिते के बाड़े में विजयादशमी के दिन की गई थी तब से लेकर आज तक विजयादशमी के दिन आरएसएस अपना स्थापना दिवस मनाता आ रहा है जिसको लेकर विभिन्न शाखाओं के द्वारा पथ संचलन निकाला जाता है।
संघ की शाखाएं अपने-अपने स्तर पर कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं तथा शक्ति की पूजा करते हैं।
इसी निमित्त में रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ खण्ड बरमकेला के द्वारा विजयादशमी उत्सव एवं पथ संचलन बरमकेला नगर में हर्षोल्लास के साथ भव्य रूप में किया गया।जिसमें मुख्य अतिथि डाॅ.खूबचंद बघेल कृषि रत्न पुरस्कार से सम्मानित प्रतिष्ठित कृषक लक्ष्मण पटेल,मुख्य वक्ता माननीय जिला संघ चालक डाॅ.प्रकाश मिश्रा तथा कार्यक्रम अध्यक्ष माननीय खण्ड संघ चालक जगतराम नायक थे।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने सरस्वती शिशु मंदिर से सृजन विद्यालय होते हुए जनपद कार्यालय तक पथ संचलन किया।
पथ संचलन में ध्वज वाहिनी घोष और घोष दंड शामिल थे,पथ संचलन में सभी स्वयंसेवक हाथों में दंड लिए कदमताल मिलाते हुए चल रहे थे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माननीय जिला संघ चालक डाॅ.प्रकाश जी मिश्रा ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना, डॉ.हेडगेवार की जीवनी,पथ संचलन एवं शस्त्र पूजन पर उपस्थित स्वयंसेवकों को बौद्धिक मार्गदर्शन देते हुए कहा कि एक समय था जब डाॅ.केशव बलिराम हेडगेवार जी ने चार बच्चों के साथ संघ शाखा का आरंभ किया था। तब लोग उन्हें चार बच्चों को साथ लेके हिन्दू समाज को संगठित करने चला है कहकर हंसी का पात्र बनाया करते थे। वहीं संघ आज देश ही नहीं पूरे विश्व का सबसे बड़ा सामाजिक और राष्ट्रवादी संगठन बन चुका है।

उन्होंने कहा कि कि अपने व्यक्तित्व को गढ़ने के लिए जो विचारधारा आवश्यक है वो हमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से मिलता है।पथ संचलन से एकाग्र की भावना आती है और हृदय में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।पथ संचलन से हमारी सामाजिक शक्ति का आभास लोगों को होता है और इसके माध्यम से हम दर्शाते हैं कि हमारा समाज अकेला नहीं है हम सब संगठित है और आने वाले समय में हम और अधिक मजबूती के साथ संगठित होंगे।
श्री मिश्रा ने क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसका हो गरल।
उसका क्या? जो दंतहीन,विषहीन,विनय सरल हो।। ये श्लोक को बोलते हुए बताया कि जो पाकिस्तान पहले हमें आंख दिखाता था पिछले डेढ़ साल से वो सपने में भी एक बार नहीं बोलता कि मैं आयटम बम का प्रयोग करूंगा।

हमारे किसी भी देवी-देवता का परिकल्पना कर लीजिए सबके हाथ में शस्त्र होते हैं।लेकिन पिछले कुछ वर्षो में तथाकथित लोगों ने हमारे हिन्दूओं के विचारों को संयमी और सहिष्णु बनाने हेतु सोची समझी रणनीति के तहत हमारे आंखों के समक्ष सुदर्शन चक्र वाले भगवान श्री कृष्ण को हटाकर मुरली वाले कान्हा को बिठा दिया ताकि हमारा समाज सहिष्णु बना रहे और हम कभी भी उद्वेलित न हो और किसी के खिलाफ आवाज न उठा सके चाहे कोई हमें कितना भी प्रताड़ित क्यों न कर लें।
उन्होंने बताया कि हम सबको आत्मरक्षा के लिए शस्त्र रखना चाहिए शस्त्र और शक्ति जो है निर्बल को सुरक्षा देने के लिए होता है।विडम्बना है कि आज हमारे घरों में भोग विलासता के सारा सामान मिल जायेंगे परन्तु शस्त्र नहीं मिलेंगे कल्पना करे कि यदि कुत्ते,चोर या डकैत घर में घुस जाए तो हमें खोजना पड़ता है लाठी कहां रखे हैं। इसलिए अपने खुद के बचाव के लिए हर एक घर में शस्त्र होना ही चाहिए। बशर्ते आप पहले अपने ज्ञान से,बातचीत से,तथा अपने विनम्र व्यवहार से लोगों को जीतने का कोशिश करिए और यदि आपकी स्वाधीनता आपकी स्वाभिमान में हाथ डालता है तो फिर हमें अपने शस्त्र का उपयोग करना चाहिए।
कार्यक्रम में जगन्नाथ पाणिग्राही, डॉ.जवाहर नायक,रामकृष्ण नायक,मनोहर पटेल,परदेशी प्रधान,भूतनाथ पटेल,चूड़ामणि पटेल,राधामोहन पाणिग्राही,जयरतन पटेल,जुगल किशोर अग्रवाल,मोहन पटेल,संजय चौधरी,भोजराम पटेल,दयाराम चौधरी,गजानन गढ़तिया,राजकिशोर पटेल,सरोज साहू,जगन्नाथ नायक,मोहित भोय,हेमसागर नायक,नौसागर चौधरी समेत सैंकड़ों की संख्या में विभिन्न अनुसांगिक संगठनों के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता समेत सैंकड़ों की तादाद स्वयंसेवक मौजूद थे।

Share this Article

You cannot copy content of this page