बाकी मोगरा नगर पालिका: भाजपा की ऐतिहासिक जीत, विकास झा बने ‘चाणक्य’ दिलाई जीत …..

Rajesh Kumar Mishra
Rajesh Kumar Mishra
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NOW HINDUSTAN. बाकी मोगरा नगर पालिका में हुए उपाध्यक्ष पद के चुनाव ने नई कहानी लिखते हुए एक बार फिर यह साबित कर दिया कि राजनीति सिर्फ संख्याओं का खेल नहीं, बल्कि रणनीति और नेतृत्व का भी मैदान होता है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उम्मीदवार गायत्री गोवर्धन कंवर ने 16 मतों के साथ जीत दर्ज की, लेकिन इस जीत की असली कहानी किसी और की थी—भाजपा युवा मोर्चा छत्तीसगढ़ के प्रदेश कोषाध्यक्ष विकास झा।

*जब मुकाबला कांटे का था, तब उतरे ‘रणनीति सम्राट’ विकास झा*

30 पार्षदों वाले इस चुनाव में भाजपा के पास मात्र 10 पार्षदों का समर्थन था, जबकि विपक्ष मजबूत स्थिति में था। सबकी नजरें निर्दलीय पार्षदों पर टिकी थीं, जिनकी संख्या 10 थी। यहीं से शुरू हुआ विकास झा का मास्टर प्लान, जिसने विपक्ष की रणनीति को ध्वस्त कर दिया। विकास झा को जो जिम्मेदारी सौंपी गई थी उसे बखूबी निभाते हुए जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पहले भी अध्यक्ष में अपनी रणनीति से सोनी कुमारी झा को अध्यक्ष बनाया ।

विकास झा ने चुनाव से पहले ही निर्दलीय पार्षदों से लगातार संवाद बनाए रखा। उनकी जरूरतों, उनकी प्राथमिकताओं और उनकी भविष्य की राजनीति को समझा। यह कोई साधारण मुलाकातें नहीं थीं, बल्कि राजनीति के गहरे दांव-पेच और विश्वास निर्माण का बेहतरीन उदाहरण थीं। जब मतदान का दिन आया, तो 6 निर्दलीय पार्षदों ने भाजपा के पक्ष में मतदान कर सबको चौंका दिया।

*विकास झा की तीन ‘ब्रह्मास्त्र रणनीतियां’*

*1. विश्वास की नींव पर खड़ी रणनीति*

विकास झा ने निर्दलीय पार्षदों को यह विश्वास दिलाया कि भाजपा के साथ जाने से न सिर्फ उन्हें स्थिरता मिलेगी, बल्कि उनके वार्डों का विकास भी सुनिश्चित होगा। राजनीति में भरोसा सबसे बड़ी पूंजी होती है, और झा ने इसे बखूबी इस्तेमाल किया।

*2. ‘साइलेंट गेमप्लान’ – बिना शोर किए जीत की बिसात*

जब विपक्षी खेमा यह सोच रहा था कि निर्दलीय पार्षद उनके साथ हैं, तब विकास झा चुपचाप अपनी योजना को अंजाम दे रहे थे। बैकडोर मीटिंग्स, व्यक्तिगत संवाद और सामूहिक चर्चा—हर मोर्चे पर उन्होंने इतनी सफाई से खेला कि विपक्ष को भनक तक नहीं लगी कि जमीन खिसक चुकी है।

*3. भाजपा संगठन और जमीनी कार्यकर्ताओं को एकजुट करना*

राजनीति में अकेला योद्धा कभी सफल नहीं होता। विकास झा ने भाजपा के स्थानीय नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थकों को इस चुनाव में पूरी ताकत झोंकने के लिए प्रेरित किया। संगठन को मजबूत किया और हर कार्यकर्ता को एक लक्ष्य दिया—गायत्री गोवर्धन कंवर को जिताना।

*विपक्ष को मिला करारा झटका*

विपक्षी दलों को पूरी उम्मीद थी कि निर्दलीय पार्षद उनके पक्ष में मतदान करेंगे, लेकिन जब नतीजे आए, तो उनके होश उड़ गए। भाजपा को मिले 16 में से 6 वोट निर्दलीयों के थे, और यही विकास झा की ‘गुप्त कूटनीति’ की सबसे बड़ी जीत थी।

*एक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक ने इस नतीजे पर कहा,

इस चुनाव में सिर्फ भाजपा की जीत नहीं हुई, बल्कि यह दिखा कि विकास झा राजनीति के उभरते हुए रणनीतिकार हैं। उनकी रणनीति में दूरदृष्टि, संगठन कौशल और व्यक्तिगत संबंधों की गहरी समझ थी। यही वजह है कि भाजपा ने विपक्ष को चौंका दिया।”

*भविष्य की राजनीति में विकास झा की बढ़ती भूमिका*

बाकी मोगरा नगर पालिका चुनाव केवल एक छोटा सा मैदान था, लेकिन इस जीत ने यह संकेत दे दिया कि विकास झा आने वाले वर्षों में भाजपा के लिए एक बड़े रणनीतिकार की भूमिका निभाने जा रहे हैं। उनकी कूटनीति, उनकी संवाद क्षमता और उनका संगठनात्मक कौशल उन्हें भाजपा के भविष्य के बड़े नेताओं में शामिल कर सकता है।

अब सवाल यह है कि क्या विकास झा इसी प्रकार आगामी चुनावों में भी भाजपा के लिए जीत की गारंटी बनेंगे? राजनीतिक हलकों में इस पर चर्चा जोरों पर है। लेकिन एक बात तो तय है—इस चुनाव ने उन्हें एक ‘राजनीतिक चाणक्य’ के रूप में स्थापित कर दिया है।

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