छत्तीसगढ़ में पहली बार सर्प दंश प्रबंधन पर एक राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन, बड़ी संख्या में डॉक्टर्स हुए शामिल…..

Rajesh Kumar Mishra
Rajesh Kumar Mishra
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NOW HINDUSTAN. Korba.  राज्य का 44% भूभाग वनों से आच्छादित है और यहां का 70% जनसंख्या आजीविका के लिए आज भी कृषि  के साथ वनोपज पर निर्भर है। जिस वजह से यहां पर सांपों के साथ आमना सामना होना एक सामान्य बात है और इसी वजह से यहां पर सर्पदंश की घटनाएं भी होती हैं।  आज भी लोग जागरूकता के अभाव में झाड़ फूंक पर पर भरोसा करते हैं। ना कि अस्पताल जाने के।

कोरबा वन मंडल एवं नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी द्वारा यह कार्यशाला कोरबा जिले में किंग कोबरा कंजर्वेशन प्रोजेक्ट के तहत रखा गया। इस कार्यशाला को स्वास्थ्य विभाग के साथ किया गया एवं इसमें एसईसीएल और वेदांता बालको को द्वारा सहयोग किया गया है। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के तौर पर कोरबा निगम महापौर संजू देवी राजपूत , विशिष्ट अतिथि मनोज शर्मा,कलेक्टर अजीत बसंत, अरविन्द पी एम डीएफओ कोरबा, कुमार निशांत डीएफओ कटघोरा, आयुक्त आशुतोष पांडेय, सीएमओ एस एन केशरी, नगर पालिका दीपका अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राजपूत, संतोष देवेंगन महामंत्री भाजपा साथ ही छत्तीसगढ़ के अलग अलग जिले से 350 डॉक्टर्स, कई जिलों से 30 रेस्क्यूर्स, मेडीकल कॉलेज से बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स शामिल हुए।

कार्यक्रम की शुरुआत में अरविंद पीएम वन मंडल अधिकारी कोरबा वन मंडल नेक और उन्होंने इस कार्यक्रम की नींव और किंग कोबरा कंजर्वेशन प्रोजेक्ट के बारे में लोगों को बताया।  नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी से एम सूरज ने उपस्थित लोगों को इस कार्यक्रम के बारे में विस्तृत रूप से बताया। उन्होंने बताया की क्यों सर्पदंश एक बड़ी समस्या है और इसके निराकरण हेतु सभी विभाग स्वास्थ्य, वन विभाग, पुलिस विभाग, रेवेन्यू विभाग ,आशा वर्कर और संस्थाएं विशेषज्ञ आदि को एक मंच पर आकर इस समस्या का हल निकालना पड़ेगा।

सीएमएचओ एस एन केसरी ने बताया की पिछले 30 सालों में पहली बार सर्पदंश जैसे विषय पर ऐसा वृहद कार्यक्रम देखने को मिला। इस समस्या को हल करने में ऐसे कार्यक्रमों की जरूरत है जिससे हेल्थ वर्कर्स मैं जागरूकता फैलेगी और सर्पदंश का बेहतर प्रबंधन होगा।

निगम महापौर श्रीमती संजू देवी राजपूत ने कहा कि कोरबा वन मंडल और नवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के द्वारा किया जा रहा यह कार्यशाला बेहद महत्वपूर्ण है और सर्पदंश  के प्रबंधन हेतु एक बेहतर तरीका है। साथ ही कोरबा वन मंडल द्वारा दुर्लभ सांप किंग कोबरा के संरक्षण पर किया जा रहा कार्य सिर्फ इस जीव के लिए नहीं वरन कोरबा और छत्तीसगढ़ के लिए गर्व की बात है। आज कोरबा और अन्य जिलों में कहीं भी यदि घरों में सांप निकलते हैं तो उन्हें सुरक्षित निकालने और सर्पदंश की घटनाओं को कमी लाने में रेस्क्यू टीम्स का बहुत बड़ा हाथ रहा है।

सर्प विशेषज्ञ  चैतन्य मालिक जो सरगुजा से संगवारी नामक संस्था से आए और उन्होंने बताया कि कैसे सर्प दंश के मामले का प्रबंधन करें। किन मौसमों में और किन परिस्थिति में क्या तरीके उपयोग में लाना हैं इससे विस्तृत जानकारी दिया। एंटीवेनम की कितनी मात्रा कब कब देना चाहिए, कैसे सर्प दंश के मरीज का प्रबंधन किया जाए।

 

एम्स, रायपुर से डॉ कृष्ण दत्त चावली ने सर्प दंश में प्राथमिक उपचार कैसे करें, कैसे पहचाने कि सर्प ने काटने के बाद पीड़ित के शरीर में विष छोड़ा है या नहीं। दूसरा जब सर्प दंश में मृत्यु हो जाती है उस स्थिति में मुआवजा प्राप्त करने हेतु कैसे फॉरेंसिक का उपयोग किया जाता हैं। ऑटोप्सी करते समय किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

 

सर्प विशेषज्ञ विवेक शर्मा ने सांपों की पहचान कैसे करें, विषैले और विषहीन के दंश के निशान में क्या फर्क होता हैं। उनका डिस्ट्रिब्यूशन छत्तीसगढ़ में कैसा हैं। कुल 43 प्रकार के सांप छत्तीसगढ़ में पाए जाते हैं। और आम धारणा है कि करैत का विष ज्यादा असरदार होता है लेकिन किंग कोबरा का विष करैत से ज्यादा घटक होता हैं।

नायब तहसीलदार श्रीमती सविता सिदार ने कहा कि सर्प दंश में जब मृत्यु हो जाता है उसके बाद रेवेन्यू बुक सर्कुलर पार्ट 6(4) नियम अनुसार 400000 तक की मुआवजा दिया जाता हैं।

नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के एम सूरज ने NAPSE नेशनल एक्शन प्लान फॉर प्रिवेंशन ऑफ स्नैक बाइट इनवेनमिंग एक्शन प्लान के बारे में जानकारी दिया। यह भारत सरकार का प्लान है जिसका उद्देश्य 2030 तक सर्प दंश में मृत्यु के दर को आधा करने का हैं। और हाल में भारत सरकार द्वारा सर्प दंश को नोटिफायेबल घोषित करने राज्य सरकार को लिखा है।

राज्य स्तर पर एक कमेटी बनाने की जरूरत है जिसमें वन विभाग, राजस्व विभाग, स्वास्थ्य विभाग, विशेषज्ञ, सर्प बचाव दल के मदद से बनाया जाए जिससे ऐसे मामले देखें तो उनका भी सर्प दंश का इलाज करने में आत्मविश्वास बढ़े।

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