शुल्क में बढ़ोत्तरी से पहले निजी विद्यालयों को देनी होगी शिक्षकों के वेतनवृद्धि की जानकारी…….

Rajesh Kumar Mishra
Rajesh Kumar Mishra
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NOW HINDUSTAN. कोरबा. नया शिक्षा सत्र शुरू हो गया है। निजी स्कूलों का प्रबंधन एक बार फिर खर्च बताकर विद्यार्थियों से लिए जाने वाले मासिक शुल्क में बढ़ोत्तरी कात की तैयारी में है। यह बढ़ोत्तरी कितनी होगी यह स्पष्ट नहीं है लेकिन निजी स्कूलों का प्रबंधन शुल्क में बढ़ोत्तरी को लेकर अपना तर्क देने लगा है।

कोरबा जिले में 200 से अधिक छोटे-बड़े निजी स्कूल हैं। स्कूलों का प्रबंधन हर साल खर्चों को आधार बताकर विद्यार्थियों से ली जाने वाली शुल्क में बढ़ोत्तरी करता है। इस बार भी बढ़ोत्तरी की तैयारी है। निजी स्कूलों की मांग को देखते हुए शिक्षा विभाग ने सभी निजी स्कूलों से नोडल अफसर के माध्यम से कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां मंगाई है। विद्यालयों से कहा गया है कि निर्धारित अवधि में जानकारी देवें ताकि शुल्क में बढ़ोत्तरी से संबधित विद्यालयों की अर्जी पर जिला प्रशासन निर्णय ले सके। निजी विद्यालयों से पूछा गया है कि उनके यहां लगने वाली कक्षाओं में वित्तीय वर्ष 2024-25 में कितनी शुल्क निर्धारित की गई थी और नए शिक्षा सत्र 2025-26 में कितना शुल्क बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव रखा गया है। शिक्षा विभाग ने पुराने ग ने पुराने और नए शुल्क वृद्धि का अंतर और प्रतिशत पूछा है। विद्यालयों से कहा गया है कि वे शिक्षकों के वेतन वृद्धि की भी जानकारी प्रस्तुत करें। विद्यालयों को यह भी बताना होगा कि शिक्षकों के वेतन पर वित्तीय वर्ष 2024-25 में कितने रुपए खर्च किए गए और शिक्षा सत्र 2022-23 और 2023-24 की ऑडिट रिपोर्ट भी देनी होगी। यह भी बताना होगा कि निजी विद्यालयों की ओर से विद्यालय संचालन में सालाना कितनी राशि व्यय की गई और उसका प्रतिशत क्या था।

विद्यालय स्तर पर भी समिति के गठन का प्रावधान

शुल्क में बढ़ोत्तरी से संबंधित समिति विद्यालय स्तर पर भी कार्य करती है। इस समिति में विद्यालय करती है का प्रबंधन अध्यक्ष होता है। इसके अलावा कलेक्टर द्वारा नामित व्यक्ति नोडल अधिकारी होते हैं जो बतौर सदस्य कार्य करते हैं। छात्रों की ओर से दो अभिभावकों को सदस्य बनाया जाता है। अशासकीय विद्यालय का प्राचार्य भी समिति का सदस्य होता है। पहले यही समिति शुल्क में बढ़ोत्तरी को लेकर मंथन करती है।

सरकार से कम दर पर जमीन लेकर निजी विद्यालय छात्रों से वसूल रहे मोटी राशि

कोरबा शहर में ऐसे कई बेड़े विद्यालय हैं जिन्होंने शिक्षा के नाम पर सरकार से औने-पौने दाम में जमीन लिया है। सरकार से जमीन लेते वक्त इन विद्यालयों ने वादा किया है कि वे सामाजिक सरोकार के तहत शिक्षा को बढ़ावा देंगे लेकिन जमीन लेने के बाद अधिकांश विद्यालयों का सामाजिक सरोकार गायब हो गया है और शुल्क इतनी है कि सामान्य वर्ग के लिए यहां अपने बच्चों का दाखिला

करा पाना मुश्किल है। प्राथमिक से लेकर माध्यमिक तक और उच्च से लेकर उच्चतर विद्यालयों में शुल्क इतना है कि यहां बच्चों को पढा पाना निम्न मध्यम वर्ग के लिए बेहद मुश्किल हो गया है। इस स्थिति में जिला प्रशासन को शुल्क में बढ़ोत्तरी करते समय विद्यालयों को दीं गई जमीन की शर्तों पर भी गौर करने की जरूरत है ताकि निम्न मध्यम वर्गीय परिवारों को थोड़ी राहत मिल सके।

पांच फीसदी से अधिक की बढ़ोत्तरी के लिए प्रशासन से अनुमति जरूरी

निजी विद्यालयों को शुल्क में बढोत्तरी को लेकर छत्तीसगढ़ फीस विनियमन अधिनियम 2020 लागू वान है। इसके तहत शुल्क की अधिकतम और न्यूनतम बढ़ोत्तरी कितनी होगी इसका प्रावधान किया गया है। फीस निर्धारण के लिए जिला स्तर पर एक समिति का गठन किया गया है। समिति में कलेक्टर को अध्यक्ष और कलेक्टर द्वारा

नामित लेखाधिकारी को सदस्य के अलावा कांनूनविद और शिक्षाविद को सदस्य बनाया गया है। जिला शिक्षा अधिकारी को इस समिति का सदस्य नियुक्त किया गया है। अधिनियम में किए गए प्रावधानों के अनुसार निजी विद्यालय यदि पांच फीसदी से अधिक बढ़ोत्तरी करना चाहते हैं तो उसे समिति से अनुमोदन प्राप्त करना होगा।

निर्धारित की गई थी और नए शिक्षा सत्र 2025-26 में कितना शुल्क बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव रखा गया है। शिक्षा विभाग ने पुराने ग ने पुराने और नए शुल्क वृद्धि का अंतर और प्रतिशत पूछा है। विद्यालयों से कहा गया है कि वे शिक्षकों के वेतन वृद्धि की भी जानकारी प्रस्तुत करें। विद्यालयों को यह भी बताना होगा कि शिक्षकों के वेतन पर वित्तीय वर्ष 2024-25 में कितने रुपए खर्च किए गए और शिक्षा सत्र 2022-23 और 2023-24 की ऑडिट रिपोर्ट भी देनी होगी। यह भी बताना होगा कि निजी विद्यालयों की ओर से विद्यालय संचालन में सालाना कितनी राशि व्यय की गई और उसका प्रतिशत क्या था।

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