कोरबा-एनटीपीसी की सीएसआर नीति पर उठ रहे सवाल, 2600 मेगावाट बिजली उत्पादित लेकिन ग्रामो में छाया हुआ हैं अंधेरा……..

Rajesh Kumar Mishra
Rajesh Kumar Mishra
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NOW HINDUSTAN. Korba.  सार्वजनिक क्षेत्र के वृहद उपक्रम नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन के अधीन कोरबा-पश्चिम क्षेत्र में संचालित एनटीपीसी का कोरबा संयत्र अंतर्गत कोरबा जिले के सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के तहत वित्तीय वर्ष 2023-24 में की गई गतिविधियों को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
जारी रिपोर्ट के अनुसार, 2600 मेगावाट उत्पादन क्षमता वाली यह कंपनी पूरे वर्ष भर में सिर्फ 6.24 करोड़ रुपए ही सीएसआर मद में खर्च कर पाई है, वो भी बुनियादी सुविधाओं जैसे सड़क, पानी, बिजली या ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर पर एक भी रुपया खर्च किए बिना।

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* सीएसआर खर्च का ब्योरा (2023-24)
क्षेत्र खर्च (रुपए में)
पर्यावरण सुधार ₹4.31 करोड़
स्वास्थ्य सुधार ₹88 लाख
शिक्षा ₹53 लाख
ग्रामीण विकास ₹23 लाख
खेल ₹17 लाख
कला एवं संस्कृति ₹12 लाख
कुल खर्च ₹6.24 करोड़

* बुनियादी सुविधाओं पर निवेश ‘शून्य’
जानकारी के अनुसार रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि सीएसआर के तहत एक भी कार्य ऐसा नहीं है जो कोरबा के स्थानीय समुदाय की बुनियादी जरूरतों जैसे सड़क निर्माण, स्वच्छ पेयजल, बिजली कनेक्शन, जल निकासी या स्थायी ग्रामीण विकास से जुड़ा हो।

* खर्च का ब्योरा भी अस्पष्ट

पर्यावरण सुधार मद में खर्च किए गए ₹4.31 करोड़ की राशि का ब्योरा कोरबा-एनटीपीसी प्रबंधन द्वारा सार्वजनिक नहीं किया गया है। यह स्पष्ट नहीं है कि ये कार्य किस स्थान पर, किन साधनों और किन उद्देश्यों के लिए किए गए।

बड़ी कंपनी परंतु सीमित सामाजिक भागीदारी

कोरबा-एनटीपीसी की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 2600 मेगावाट है और 800 मेगावाट की नई इकाई भी प्रस्तावित है। ऐसे में यह गंभीर विषय है कि इतनी बड़ी औद्योगिक इकाई अपने परिचालन क्षेत्र में सीएसआर के माध्यम से कोई ठोस योगदान नहीं दे रही है।

* प्रशासन की निष्क्रियता भी सवालों के घेरे में

जिला प्रशासन की भूमिका भी इस स्थिति में संदिग्ध नजर आती है। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रशासन ने कोरबा-एनटीपीसी को किसी भी बुनियादी सुविधाओं से जुड़े प्रस्ताव नहीं सौंपे हैं, जबकि सीएसआर नीति के तहत कंपनियों को स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर कार्य योजना तैयार करनी होती है।

स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों की नाराजगी

स्थानीय समाजसेवियों और ग्रामीणों ने नाराजगी जताते हुए कहा, “एनटीपीसी कोरबा जिले की धरती का सीना फाड़, प्रदुषण फैला, लोगो के जीवन को संकट में डाल, हवा में राख रूपी जहर घोल अरबों की बिजली पैदा कर रही है, लेकिन यहां के स्थानीय निवासी और ग्रामीणों हेतु सड़क और नाली जैसी बुनियादी सुविधाएं भी मुहैया नहीं करा रही हैं। सीएसआर को केवल फाइलों और आंकड़ों में दिखाया जा रहा है, किन्तु धरातल स्तर पर कार्य नजर नहीं आते हैं।” इन सब को देखते हुए स्थानीय निवासी सहित जिले में गहन आक्रोश व्याप्त हैं।

सीएसआर मद का उद्देश्य सिर्फ “राशि खर्च करना” नहीं, बल्कि स्थायी और ठोस सामाजिक परिवर्तन लाना होता है। कोरबा-एनटीपीसी का मौजूदा रुख इस उद्देश्य से मेल नहीं खाता। यदि प्रशासन और कंपनी मिलकर पारदर्शी और जरूरत-आधारित नीति अपनाएं, तो कोरबा जैसे औद्योगिक क्षेत्र में भी वास्तविक विकास की रेखाएं खिंच सकती हैं।

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