भागवत कथा मनुष्य को भगवत बना देती है, जीवन का व्यवहार सत्य पर ही आधारित है एवं सत्ता जिस माध्यम से आती है, उसी से प्रमाणित होती है – कथा व्यास पूज्य अतुल कृष्ण भारद्वाज ……

Rajesh Kumar Mishra
Rajesh Kumar Mishra
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NOW HINDUSTAN. Korba.  कोरबा में चल रहे श्रीमद भागवत कथा के कथा व्यास पूज्य अतुल कृष्ण भारद्वाज जी महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दौरान ज्ञान की महिमा के बारे में श्रद्धालु जनों को बताया कि भागवत कथा मनुष्य को भागवत बना देती है। श्रीमद् भागवत कथा में ही ऐसी शक्ति है, जो भटके हुए को रास्ता दिखाती है. बिगडे हुए को सुधार देती है और दुष्टों का उद्धार कर देती है। उन्होने कहा कि गीता ज्ञान है, ज्ञान कैसा होने चाहिए, यह बातें भगवान ने भागवत में बताई हैं। जब बुद्धि भगवान में लग जाए अथवा भगवान् बुदि का वरण कर ले, तो समझ लें कि मनुष्य को ज्ञान की प्राप्ति हो गई है, क्योंकि यह बुद्धि ही है, जो मनुष्य के विचारों एवं आचार को अपने आदेश पर चलाती है और मन के आदेश को मानती है। यदि बुद्धि भगवान में लग गई तो फिर उसमें ऐसे विचार आयेगें ही नहीं जिसमें किसी का अहित या नुकसान हो। जो नगवान के सामने रोते हैं, उसे संसार के सामने नहीं रोनां पड़ता और भगवान अपने भक्तों के लिए दौड़े चले आते हैं और उन्हें अपने पास रख लेते हैं। जिसे पूरी दुनिया में जाकर भी शांति नही मिलती, उसे भगवान की गोदी में आकर शान्ति मिल जाती है।

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उन्होने बताया कि भगवान ने अपने विराट्र स्वरूप को दर्शन केवल एक बार और एक ही को दिखाया है, वह भी महाभारत के युद्ध में अर्जुन को दिखाया है, इसके अलावा उन्होने किसी को भी अपना विराट स्वरूप के दर्शन नहीं दिए।

कथा व्यास ने कहा कि भगवान के अपने धाम लौटने के साथ ही कलयुग प्रारम्भ हो गया और कलयुग ने अपने अत्याचार करने शुरू कर दिए। कलयुग हुने बैल रूपी धर्म को मारा तो धर्म के तीन पैर टूट गए, लेकिन सत्य पर जो पैसा था, वह नहीं टूटा और सत्य आज भी स्थापित है।

जीवन का व्यवहार भी सत्य पर ही चलता है। उन्होने कहा है कि लोगों नै धर्म की परिभाष ही बदल डाली है। धर्म के चार स्तम्भ तप, सत्य, दया एवं पवित्रता हैं। कलयुग में मनुष्य से ना तो तप हो सकता है और ना ही भगवान की तरह दयालु हो सकता है। रही पवित्रता की बात तो वह भी जा रही है। कैवल सत्य ही है, जो पहले भी स्थापिंत था और आज भी स्थापित है और कल भी रहेगा। उन्होने कहा कि हमारे देश की संस्कृति का जो हाल है, उसके ब्रिगडन्ने बजा कारण दृष्टि, मन, मोबाईल, टीवी, फिल्म जैसे अनेक साधन सहज उपलब्ध हैं। आने वाले समय में इसके और भी दुष्परिणाम देखने को मिलेगें। आज से 100 वर्ष पहले की संस्कृति क्या थी? आज अख़बारों के प्रत्येक पृष्ठों पर अपराध की खबरे हैं। क्या आज से 20 वर्ष पूर्व ऐसी हालत थी? आज पूरे समाज में प्रत्येक कर्मों में मिलावट आ गयी है, जिसका प्रतिशत 2 से 3 है, लेकिन आने वाले समय में भऔर भी बढ़ेगा, उस समय में देश की हालत कैसी होगी। मनुष्य के जीवन से जा तप, पवित्रता, दया और सत्यता नहीं रह गई हो तो हालत तो बिगड़ेगें ही।

उन्हों कहा कि यथा राजा तथा प्रजा है। पहले सत्ता तलवार से प्राप्त होती थी और अब सत्ता वोटों से प्राप्त होती है। यह अच्छी बात है क्योंकि तलवार से प्राप्त की गो सत्ता हिंसा से मिलती थी और वोटों से प्राप्त की गई सत्ता हिंसा विहीन है अर्थात जिस प्रकार से सत्ता मिलती है, उसी से प्रमाणित होती है। आज की कथ में कथा व्यास द्वारा कथा एवं भजनों के माध्यम से क्षेत्र के सभी भक्तजनों को भावविभोर किया।

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