NOW HINDUSTAN. Korba. छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में 110 करोड़ रुपये के केबल घोटाले का आरोप लगाया गया हैं, जिसने बिजली वितरण प्रणाली में सुधार के नाम पर चल रही योजनाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जानकारी के अनुसार इस बड़े घोटाले की जांच के लिए सरकार ने 40 सदस्यीय विशेष जांच टीम गठित की है, जो आगामी 10 दिनों में जांच उपरांत रिपोर्ट सौंपेगी।
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* 5 जिलों में फैला घोटाला
संगीन आरोप लगाते हुए बताया जा रहा हैं की यह घोटाला केवल कोरबा ही नहीं, बल्कि बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, मुंगेली और गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिलों में भी फैला हुआ हैं। यहाँ भी इसी तरह की गड़बड़ियों की शिकायतें मिली हैं। विशेष जांच टीम इन सभी जिलों में जांच करेगी और यह पता लगाएगी कि घोटाले का दायरा कितना बड़ा है।
* भौतिक सत्यापन के बिना भुगतान
जानकारी के अनुसार, भौतिक सत्यापन किए बिना ही ठेकेदारों को भुगतान कर दिया गया, जो नियमों का सीधा उल्लंघन है। मामले की गंभीरता को देखते हुए दो कार्यपालन अभियंताओं को पहले ही निलंबित किया जा चुका है।
पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में शुरू हुई योजना
यह योजना वित्तीय वर्ष 2022-23 में पूर्ववर्ती प्रदेश सरकार के कार्यकाल में शुरू की गई थी। योजना का उद्देश्य ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में बिजली वितरण प्रणाली में सुधार करना था, जिसके लिए केंद्र सरकार से भी आर्थिक सहायता मिली थी। लेकिन अब इस योजना में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार की गहन आशंका जताई जा रही है।
उल्लेखनीय हैं की मामला एरियल बंच केबल सप्लाई में गड़बड़ी से जुड़ा है। पहले हुई शुरुआती जांच में ही इसमें भारी गड़बड़ी सामने आई थी। इसके आधार पर प्रबंधन ने बिजली कंपनी के कोरबा में संबंधित कार्य इंचार्ज और जांजगीर के एक इंजीनियर को निलंबित कर दिया है। पूरा मामला बिलासपुर रीजन का बताया जा रहा है। उच्च स्तर पर केबल की गुणवत्ता को लेकर शिकायत होने पर बिजली कंपनी प्रबंधन ने इसे गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच शुरू कराई। बिजली वितरण कंपनी ने मामले की जांच का जिम्मा कार्यपालन अभियंता स्तर के चार अधिकारियों को सौंपा है। जिसमें बिलासपुर के एम.एम. चंद्राकर, पी.के. सिंह, धर्मेंद्र भारती और नवीन राठी के अलावा बिलासपुर से अधीक्षण यंत्री पी.आर. साहू, कार्यपालन यंत्री हेमंत चंद्राकर और एम.के. पाण्डेय भी जांच में शामिल रहे। कुछ दिनों पहले कोरबा में भी जांच के लिए अधिकारियों की दो सदस्यीय टीम पहुंची थी। टीम ने केबल व अन्य उपकरणों की जांच कराई उसके बाद यह कार्यवाही की गई।
कोरबा में ईई पर गिरी गाज
बताया जा रहा है कि ठेकेदारों ने टेंडर में आईएसआई मार्क और बीआईएस प्रमाणित केबल की शर्तों का उल्लंघन करते हुए घटिया और स्थानीय ब्रांड के केबल का उपयोग किया। जिसके कारण बिजली उपकरणों में खराबी आने के साथ ही सप्लाई भी बाधित हो रही थी। ये भी कहा जा रहा है कि कई जगहों पर केबल लगाए बिना ही ठेकेदारों को पूरा भुगतान कर दिया गया।
जानकारी के अनुसार आरडीएसएस योजना के तहत कराए गए कार्य में बिलासपुर, मुंगेली, कोरबा और जांजगीर-चांपा में सबसे ज्यादा शिकायतें मिली हैं। योजना के अंतर्गत बिलासपुर में लगभग 66.72 करोड़, कोरबा में 77 और मुंगेली-पेंड्रा में 25.37 करोड़ रुपए के केबल व अन्य उपकरणों की खरीदी की गई है। अब इस मामले के सामने आने के बाद अब सप्लायर और ठेकेदारों के खिलाफ भी आगे कार्यवाही की बात कही जा रही है।
केबल खरीदी में गड़बड़ी का असर बिजली आपूर्ति पर
इस मामले को लेकर बिजली वितरण विभाग के अधीक्षण अभियंता पी.एल. सिदार ने बताया कि रायपुर से पहुंची टीम ने पिछले दिनों कोरबा में जांच की थी। आरंभिक जांच में इस कार्य के इंचार्ज की लापरवाही सामने आने पर निलंबन की कार्यवाही हुई है।
कोरबा में बिजली व्यवस्था सुधारने के लिए आरडीएसएस योजना के तहत कार्य कराया गया है। बिजली वितरण विभाग में केवल घोटाला सामने आने के बाद बिजली विभाग का कहना है कि कोरबा में शहरी क्षेत्र को छोड़कर अन्य अलग-अलग हिस्सों में काम कराया गया है। कोरबा में पुणे की एक कंपनी ने काम कराया है। मामले में आगे की जांच चल रही है।
आगे सभी की नजरें जांच टीम की रिपोर्ट पर टिकी हैं, जिससे यह साफ होगा कि किस स्तर तक भ्रष्टाचार फैला हुआ है और इसमें किन अधिकारियों की मिली-भगत रही। अगर जांच में कुछ दोसी सामने आते है तो उनपर क्या कार्यवाही होगी उनसे वसूली भी होगी या सिर्फ जांच के बाद चुप्पी रहेगी । ऐसे में तो घोटाला करो और आराम से रहो।