ठेका मजदूरों की खून-पसीने की कमाई पर डाका? एसईसीएल दीपका क्षेत्र में उठ रहे सवाल।…..

Rajesh Kumar Mishra
Rajesh Kumar Mishra
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NOW HINDUSTAN.  कोरबा/दीपका। एसईसीएल दीपका क्षेत्र में कार्यरत ठेका श्रमिकों की मेहनत की कमाई पर गड़बड़ी के गंभीर आरोप सामने आए हैं। जानकारी के अनुसार, क्षेत्र में कई ठेका कंपनियों के माध्यम से उत्खनन, मरम्मत और अन्य कार्यों के लिए नियोजित ठेकेदारों के माध्यम से सैकड़ों मजदूर कार्यरत हैं।

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स्थानीय सूत्रों और श्रमिकों का कहना है कि 8 घंटे की ड्यूटी के बाद भी मजदूरों को सरकार द्वारा निर्धारित दैनिक वेतन पूरा नहीं मिल रहा। आरोप है कि ठेकेदारों और संबंधित प्रबंधन के बीच मिलीभगत से मजदूरों की मजदूरी में मनमानी कटौती हो रही है, जिससे उन्हें आधी-अधूरी राशि ही प्राप्त होती है।

सूत्रों के अनुसार, इस प्रक्रिया को “एलपीसी” (लेबर पे सर्टिफिकेट) के माध्यम से प्रमाणित भी किया जाता है। श्रमिकों का कहना है कि कई मामलों में ऐसे लोगों के नाम पर भी प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं, जो वास्तव में कार्यरत ही नहीं हैं यही नहीं कई मजदूर जो एलपीसी में दर्शाए गए हैं वह मजदूर दीपका ही नहीं बल्कि प्रदेश में ही मौजूद नहीं है। और इन सभी खामियों को नजर अंदाज करने नजराना पेश किया जाता है।दस्तावेजों को सत्यापित करने की प्रक्रिया में आर्थिक लेन-देन की भूमिका विभागीय लिपिक के माध्यम से किया जाता है, और यह रकम अधिकारियों तक परोसा जाता है। जो कि सर्वविदित है।

मजदूरों का कहना है कि यदि निष्पक्ष जांच हो, तो इससे पूरे तंत्र में व्याप्त अनियमितताओं का खुलासा हो सकता है।

फिलहाल मजदूरों ने मांग की है कि वेतन भुगतान व्यवस्था की पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए, ताकि उनकी खून-पसीने की कमाई सुरक्षित रह सके।

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