NOW HINDUSTAN. Korba. बलौदाबाजार , जिले के पलारी ब्लॉक के छेरकाडीह गांव से एक हृदय विदारक तस्वीर सामने आई है। 38 वर्षीय टिकेश्वरी निषाद की बीमारी से मौत के बाद उनके शव को अंतिम संस्कार के लिए ससुराल ले जाना था, लेकिन रास्ते में आए उफनते नाले ने शव यात्रा रोक दी। मजबूरी में ग्रामीणों ने प्लाईवुड की चादर पर शव रखा, नीचे ट्यूब लगाई और शव को तैराकर नाले के उस पार पहुंचाया। यह दृश्य न केवल ग्रामीणों के दर्द को बयान करता है, बल्कि प्रशासन की घोर लापरवाही को भी उजागर करता है।
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मायके में निधन, ससुराल में अंतिम संस्कार :
टिकेश्वरी निषाद 16 सितंबर को इलाज के लिए मायके छेरकाडीह आई थीं। लंबे समय से बीमार चल रही थीं और बुधवार देर रात उनका निधन हो गया। गुरुवार सुबह परिजनों ने शव को ससुराल भवरगढ़ ले जाने की तैयारी की, लेकिन भारी बारिश से नाला उफान पर था।
पुलिया के अभाव में टूटा सम्मान :
गांव के बीचोंबीच बहते इस नाले ने शव यात्रा रोक दी। शव को ले जाने के लिए कोई रास्ता नहीं बचा तो ग्रामीणों ने अपनी सूझबूझ से प्लाईवुड और ट्यूब का सहारा लिया। भीगी आंखों और भारी मन से परिजन शव को तैराते हुए नाले के पार ले गए। इसके बाद निजी वाहन से शव को अंतिम संस्कार के लिए भवरगढ़ पहुंचाया गया।
सालों से लंबित मांग, प्रशासन मौन :
ग्रामीणों का कहना है कि इस नाले पर पुलिया बनाने की मांग वर्षों से हो रही है, लेकिन आज तक काम नहीं हुआ। हर बरसात में यही स्थिति बनती है, कभी बच्चों की पढ़ाई रुकती है तो कभी लोगों की जान पर बन आती है।
गांव के सरपंच जयन साहू ने भी स्वीकार किया कि “हर साल बारिश में नाले के कारण गांव दो हिस्सों में बंट जाता है। प्रशासन से पुल निर्माण की मांग बार-बार की गई, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।”
अफसरों का आश्वासन, हकीकत दूर :
इस दर्दनाक घटना के बाद जनपद सीईओ पन्ना लाल धुर्वे ने कहा कि पुलिया निर्माण का प्रस्ताव अन्य योजना के तहत भेजा जाएगा। लेकिन ग्रामीणों का सवाल है कि आखिर कितनी और ऐसी त्रासदियां होने के बाद उनकी मांग पर अमल होगा?
यह घटना सिर्फ एक महिला की शव यात्रा की मजबूरी नहीं, बल्कि उस व्यवस्था की पोल खोलती है जो विकास के नाम पर करोड़ों खर्च कर देती है लेकिन एक छोटे से पुल की सुविधा देने में नाकाम रहती है।*