कोरबा – जिला कांग्रेस कार्यालय टी पी नगर कोरबा में शहीद भगत सिंह की 118वीं जयंती कार्यक्रम मनाया गया । आयेाजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि भारत की आजादी के इतिहास को जिन अमर शहीदों के रक्त से लिखागया है जिन शूर वीरों के बलिदान ने भारतीय जनमानस को सर्वाधिक उद्धेलित किया है, जिन्होंने अपनी राजनीति से साम्राज्यवादियों को लोहे के चने चबवाएं हैं, जिन्होंने परतंत्रता की बेडि़यों को छिन्न – भिन्न कर स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया है तथा जिन पर जन्म भूमि को गर्व है उनमें से एक भगत सिंह है ।
- Advertisement -
पूर्व महापौर राजकिशोर प्रसाद ने शहीद भगत सिंह के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शूरवीर भगत सिंह को 24 मार्च 1931 की प्रात: समय फांसी देना निर्धारित किया गया था परंतु अंग्रेज सरकार ने भय के मारे एक दिन पहले 23 मार्च को रात्रि के समय फांसी दे दिया । उनके साथ उनके साथी सुखदेव एवं राजगुरू को भी फांसी पर चढ़ा दिया गया ।
शहीद एवं शूरवीर भगत सिंह को याद करते हुए जिला कांग्रेस अध्यक्ष नत्थु लाल यादव ने बताया कि फांसी देने के बाद इनके मृत शरीर को उनके परिजनों को नहीं सौंपा गया । ब्रिटिश सरकार ने इन्हें और अपमानित करना चाहा और इन तीनों के मृत शरीर को टुकड़ो में विभाजित कर बोरियों में भरकर पिछे के दरवाजे से निकालकर रातों रात चुपचाप फिरोजपुर के पास सतजल के किनारे मिट्टी तेल छिड़ककर आग लगा दी गई ।
पूर्व सभापति श्याम सुंदर सोनी ने बताया कि भगत सिंह तथा उनके साथियों की शहादत की खबर से सारा देश शोक के सागर में डूब गया और देश का माहौल चिंतनीय हो उठा । इसके बाद भी अंग्रेज शासकों के दिमागों पर भगत सिंह का खौफ इतना छाया हुआ था कि वे उनके चित्रों को भी जब्त कराने लगे लेकिन हिन्दुस्तान ने यह तय कर लिया था कि भारत को आजाद कराकर इसका बदला लेंगे और हुआ भी वहीं ।
इस अवसर पर सर्वप्रथम शहीद भगत सिंह के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके पर पार्षद मुकेश राठौर, अनुज जायसवाल, नारायण कुर्रे, डॉ रामगोपाल कुर्रे, वरिष्ठ कांग्रेस नेता लक्ष्मी नारायण देवांगन, गजानंद साहू, गणेश दास, जवाहर निर्मलकर, मनमोहन यादव, रमेश वर्मा, पूर्व पार्षद पालुराम साहू, शशि अग्रवाल, गोपाल यादव, कार्यालय महामंत्री सुरेश कुमार अग्रवाल आदि उपस्थित थे ।