NOW HINDUSTAN. Korba भारत के मुख्य न्यायाधीश श्री बी.आर. गवई पर हुए हमले के विरोध में कोरबा से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन के माध्यम से मांग की गई है कि आरोपी अधिवक्ता पर कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए और इस कृत्य को गैरकानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम – UAPA के तहत अपराध घोषित किया जाए।
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नारायण लाल कुरें अध्यक्ष (शहर) अनुसूचित जाति विभाग जिला कांग्रेस कमेटी कोरबा (छ.ग.) ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता के 78 वर्ष भी यदि देश के दलित मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय में सुरक्षित नहीं है। भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश श्री बी. आर.गवई पर हुए हमले का हम विरोध करते हुए निम्नलिखित मांग रखते हैः-
1. उस अधिवक्ता के विरूद्ध तत्काल और कठोर कानूनी कार्यवाही की जाए जिसने दलित सी.जे.आई. पर हमला किया।
2. इस संवैधानिक पद की अवमानना और दलित न्यायाधीश के प्रति घृणा फैलाने वाले इस कृत्य के लिए गैर कानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम (UAPA) के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया जाये।
3. भारत सरकार द्वारा स्पष्ट संदेश दिए जाये कि किसी भी संस्था, विशेषकर न्यायपालिका में, जातिगत उत्पीड़न या अपमान के प्रति शून्य सहिशुष्णता की कलकर नीति को अपनायी जाये।
यह घटना न केवल संवैधानिक पद की अवमानना है, बल्कि दलित न्यायाधीश के प्रति घृणा फैलाने का प्रयास भी है। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि न्यायपालिका में जातिगत भेदभाव के खिलाफ शून्य सहिष्णुता नीति अपनाई जाए।