पुरानी इकाईयों के बंद होने से घरेलू बिजली उत्पादन घटेगा 840 मेगावाट तक, एचटीपीपी की 5 साल बाद पुरानी इकाई होंगी बंद-अपग्रेडेशन के बाद होगा पुनः उत्पादन

Rajesh Kumar Mishra
Rajesh Kumar Mishra
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NOW HINDUSTAN. Korba. छत्तीसगढ़ प्रदेश में आने वाले दिनों में बिजली संकट टालने तय समय पर एचटीपीपी विस्तार प्लांट की इकाइयों से उत्पादन शुरू करना होगा। सालाना लगभग 10 फीसदी की दर से बिजली की घरेलू जरूरतें बढ़ी हैं।
जानकारी के अनुसार 2029 में एचटीपीपी विस्तार प्लांट की 660 मेगावाट क्षमता की पहली यूनिट शुरू करनी है। 2030 में संयंत्र की 210 मेगावाट की चार पुरानी इकाइयों को एक-एक कर बंद किया जाएगा। अपग्रेडेशन से बिजली उत्पादन की अनुमति मिली है। पुरानी इकाइयों के बंद होने पर ही घरेलू बिजली उत्पादन 840 मेगावाट तक घटेगा। एचटीपीपी प्लांट के दूसरे चरण के विस्तार का काम संयंत्र परिसर में शुरू हो गया है। 660 मेगावाट की दो सुपर क्रिटिकल यूनिट लगेंगी।

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उत्पादन कंपनी ने बिजली इकाइयों की स्थापना के लिए एनटीपीसी को सलाहकार नियुक्त किया है। बीएचईएल कंपनी को संयंत्र लगाने का ठेका मिला है। इसकी लागत 13 हजार 990 करोड़ रुपए है। नए प्लांट के अस्तित्व में आने पर जिले में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। एचटीपीपी विस्तार के पहले चरण का 500 मेगावाट की इकाई के साथ स्थापना के समय की 210 इकाइयों भी हैं। इन पुरानी इकाइ‌यों के अपग्रेडेशन से साल 2030 तक बिजली उत्पादन की अनुमति मिली है। अगले 5 साल में एचटीपीपी विस्तार प्लांट की इकाइयों की कमीशनिंग के बाद बिजली उत्पादन शुरू होने से बिजली संकट टाला जा सकेगा। हालांकि इन इकाइयों की कमीशनिंग में देरी पर उत्पादन कंपनी को पुरानी इकाइयों के एक्सटेंशन बढ़ाने का विकल्प मौजूद है, लेकिन सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी में आवेदन पर अनुमति मिलना जरूरी है।

अनुमान से अधिक बिजली की मांग होने से बजट पर असर

अनुमान से अधिक बिजली की मांग का असर राज्य बिजली कंपनी की बजट पर पड़ता है। इससे सेंट्रल सेक्टर से महंगी बिजली लेनी पड़ती है। इसी साल बिजली की मांग के पीक आवर में राज्य बिजली कंपनी ने अधिकतम 14.50 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली की खरीदी थी। केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण ने 20वीं इलेक्ट्रिक पावर सर्वे के आधार पर वित्त वर्ष 2024-25 में 6232 मेगावाट बिजली की अधिकतम मांग का अनुमान लगाया था।

* नए संयंत्र के लिए लांग टर्म प्लान

एचटीपीपी विस्तार संयंत्र से बिजली उत्पादन का प्रमुख ईंधन कोयला होगा। संयंत्र के संचालन करने सालाना 65 लाख टन कोयले की जरूरत होगी। नए संयंत्र को लॉन्ग टर्म प्लान के तहत शक्ति पॉलिसी से कोयले की आपूर्ति की जाएगी। इसका अनुबंध हो चुका है। कुसमुंडा खदान से संयंत्र तक कन्वेयर बेल्ट से पुराने पावर प्लांट को कोयले की आपूर्ति की जा रही है। ऐसे में नए संयंत्र को भी कोयला आपूर्ति में दिक्कत नहीं आएगी। संयंत्र के नजदीक एमजीआर रेल प्रणाली की स्थापना होगी ताकि रेल मार्ग से संयंत्र तक कोयले की आपूर्ति का विकल्प मौजूद रहे।

दोनों इकाइयों से तय समय पर उत्पादन का प्रयास : पी.के. स्वैन
एचटीपीपी संयंत्र के मुख्य अभियंता पी.के. स्वैन ने कहा हैं कि “तय समय पर नए संयंत्र की दोनों इकाइयों से उत्पादन शुरू हो, इसका प्रयास रहेगा। ठेका कंपनी बीएचईएल को बिजली प्लांट बनाने का जिम्मा सौंपा गया है। एचटीपीपी संयंत्र की पुरानी इकाइयों का एक्सटेंशन बढ़ाने का विकल्प भी है। इसके लिए कंपनी मुख्यालय की ओर से सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी को आवेदन किया जाता है। 2030 तक पुरानी इकाइयों से उत्पादन की अनुमति मिली है।”

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