NOW HINDUSTAN. Korba. साउथ ईस्टर्न कॉन्फ्रेंस लिमिटेड कोरबा क्षेत्र की सिंघाली खदान में कोल इंडिया के पहले पेस्ट फिलिंग प्रोजेक्ट के लिए भूमिपूजन संपन्न हुआ। एसईसीएल व टीएमसी के बीच 7040 करोड़ रुपए का समझौता हुआ है।
जानकारी के अनुसार इस क्षेत्र में 8 लाख टन से ज्यादा कोयला का भंडार मौजूद है, जिसे अगले ढाई दशक में निकालने की योजना है। भूमिगत खदान में आधुनिक तकनीक से खनन के बाद रिक्त स्थान को भरा जा सकेगा।
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एसईसीएल कोरबा क्षेत्र में स्थित सिंघाली भूमिगत कोयला खदान में कोयला उत्खनन की आधुनिक तकनीक पेस्ट फिलिंग पेस्ट की नई प्रणाली अपनाई जा रही हैं। यह एक आधुनिक भूमिगत खनन विधि है। कोयला खनन से निकले रिक्त स्थान को फ्लाई ऐश, ओपन कास्ट खदानों से निकले गए ओवरबर्डन, सीमेंट, पानी और बाध्यकारी रसायनों से बने विशेष रूप से तैयार पेस्ट से भर दिया जाता है। यह प्रक्रिया भूमि के धंसने को रोकती है और खदान की संरचनात्मक स्थिरता सुनिश्चित करती है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि पेस्ट में औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थों का उपयोग किया जाता है, जिससे यह प्रक्रिया पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ बनती है और अपशिष्ट पुनर्चक्रण को बढ़ावा मिलता है। सुरक्षित खनन के साथ ही पर्यावरण संरक्षण को मिलेगा बढ़ावाप्रबंधन का कहना है कि सिंघाली खदान में इस तकनीक का प्रयोग एसईसीएल के लिए एक और महत्वपूर्ण कदम है। इस तकनीक से आधुनिक और सुरक्षित खनन के साथ ही पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा।
बताया जा रहा है कि सिंघाली खदान पेस्ट फिलिंग परियोजना शुरू करने के बाद एसईसीएल के अन्य भूमिगत कोयला खदानों में खनन कि इस आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जा सकता है।एसईसीएल के सिंघाली में पेस्ट फिल तकनीक से कोयला उत्पादन के लिए अप्रैल 2025 में एसईसीएल व टीएमसी खनिज संसाधन लिमिटेड के साथ 7040 करोड़ के समझौते पर हस्ताक्षर हुआ था। इस तकनीक से सिंघाली भूमिगत कोयला खदान में बड़े पैमाने पर कोयला उत्पादन की योजना है।
इस परियोजना में अगले 25 वर्षों में लगभग 8.4 मिलियन टन कोयला उत्पादन होने की उम्मीद है। सिंघाली भूमिगत खदान को 1989 में 0.24 मिलियन टन प्रति वर्ष उत्पादन क्षमता के लिए मंजूरी दी गई थी और 1993 में इसका संचालन शुरू हुआ था। वर्तमान में, खदान में जी-7 ग्रेड नॉन-कोकिंग कोयले का भंडार हैं। पहले इसे बोर्ड और पिलर पद्धति का उपयोग करके विकसित किया गया था, जिसमें भूमिगत संचालन के लिए लोड हॉल डंपर्स (एलएचडी) और यूनिवर्सल ड्रिलिंग मशीन (यूडीएम) का उपयोग किया गया था। अब यहां पेस्ट फिल तकनीक से और सुरक्षित कोयला उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
कोरबा-एसईसीएल क्षेत्र स्थित सिंघाली भूमिगत खदान में पेस्ट फिलिंग तकनीक से कोयला का खनन किया जाएगा। कोयला खनन की इस आधुनिक तकनीक से पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा। मंगलवार को सिंघाली भूमिगत कोयला खदान में कोल इंडिया के पहले पेस्ट फिलिंग प्रोजेक्ट के लिए भूमिपूजन किया गया। एसईसीएल के कोरबा क्षेत्र अंतर्गत डीएसबी उपक्षेत्र में सिंघाली भूमिगत कोयला खदान स्थित है, जहां पेस्ट फिलिंग टेक्नोलॉजी परियोजना के लिए भूमि-पूजन संपन्न हुआ।
एसईसीएल सीएमडी हरीश दुहन के मार्गदर्शन में कोरबा क्षेत्र के सिंघाली में आयोजित इस कार्यक्रम में एसईसीएल के निदेशक (तकनीकी) योजना एवं परियोजना रमेश चन्द्र महापात्र मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने पेस्ट फिलिंग प्रोजेक्ट के लिए भूमिपूजन किया। इस अवसर पर टीएमसी के प्रबंध निदेशक अतुल द्विवेदी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम में एसईसीएल कोरबा क्षेत्र के क्षेत्रीय महाप्रबंधक राजेश कुमार गुप्ता, एसईसीएल मुख्यालय से महाप्रबंधक (उत्पादन) अजय तिवारी भी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
प्रबंधन के मुताबिक एसईसीएल सीएमडी हरीश दुहन के मार्गदर्शन में कोल इंडिया के पहले पेस्ट फिल प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन एसईसीएल कोरबा क्षेत्र के सिंघाली भूमिगत खदान में किया जा रहा है। कार्यक्रम में क्षेत्र, उपक्षेत्र एवं इकाई के वरिष्ठ अधिकारी व कर्मचारी प्रतिनिधि,जेसीसी सदस्य भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। भूमि पूजन के बाद अतिथियों ने परिसर में पौधरोपण भी किया। इस अवसर पर कोरबा क्षेत्र के विभिन्न विभागों के स्टाफ ऑफिसर्स एवं अन्य अधिकारीगण भी उपस्थित रहे।