ग्राम सभा की बिना अनुमति के पुल निर्माण का विरोध तेज, हजारों आदिवासियों ने निकाली रैली,इंद्रावती नदी परअनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू…

Rajesh Kumar Mishra
Rajesh Kumar Mishra
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कोरबा /बीजापुर NOW HINDUSTAN छत्तीसगढ़ में सुकमा से सरगुजा तक आदिवासियों ने राज्य की भूपेश बघेल सरकार के खिलाफ हल्ला बोल दिया है। पेसा कानून के उल्लंघन और ग्राम सभाओं को नजरअंदाज करने के कारण आदिवासी समुदाय सरकार से नाराज है। और अब एक बार फिर राज्यभर में आंदोलन तेज हो रहा है।

ताजा मामला बीजापुर जिले के भैरमगढ़ इलाके का है जहां इंद्रावती नदी पर पुंडरी-ताडबाकरी गांव में एक पुल निर्माण कार्य किया जा रहा है। लेकिन स्थानीय आदिवासियों का आरोप है कि ग्राम सभा की अनुमति के बगैर ही यह निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया। जब गांववालों ने पिछले साल एक मार्च को इसके विरोध में अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू किया तब सरकारी बलों ने दमनात्मक रवैया अपनाया और शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने बैठे आदिवासियों पर 26 मार्च को कथित रूप से लाठीचार्ज कर दिया। इस घटना में कम से कम 50 लोगों के घायल होने की जानकारी ग्रामीणों ने दी है। जबकि इस आंदोलन में शामिल 8 आदिवासियों को जेल में डाल दिया गया।

अब दोबारा से इन आदिवासियों ने एकजुटता दिखाई है और 15 जनवरी से इंद्रावती नदी के किनारे रैली निकाली। फिर अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। यहां करीब 11 ग्राम पंचायतों के 3 हजार से अधिक लोग शामिल हुए हैं। उनका कहना है कि जब तक सरकार पेसा कानून और ग्राम सभा की अनुमति नहीं लेती तब तक उनके इलाके में सरकारी निर्माण कार्य का विरोध किया जाएगा। यदि सरकार को आदिवासियों का विकास करना है तो उनके अधिकारों की रक्षा करनी होगी। ना तो सरकार नियम कानून का पालन कर रही है और ना ही आदिवासियों को लोकतांत्रिक तरीके से विरोध प्रदर्शन करने दे रही।

 

मूलवासी बचाओ मंच इंद्रावती क्षेत्र के पदाधिकारियों ने मांग पूरी नहीं होने तक आंदोलन करने की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार पिछले साल की तरह शांतिपूर्ण आंदोलन को कुचलने का प्रयास करेगी तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतना पड़ सकता है। आने वाले दिनों में राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में यदि आदिवासियों पर अत्याचार बढ़ता है तो इसका खामियाजा कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार को भुगतना पड़ेगा।

आदिवासियों का दावा है कि बस्तर संभाग में कम से कम 13 जगहों पर अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन जारी है। घने जंगलों और पहाड़ों से घिरे हुए इलाके में हजारों आदिवासी दिन रात आंदोलन में डटे हुए हैं। इन इलाकों में मीडिया की पहुंच नहीं होने या फिर अनदेखी के चलते खबरें बाहर नहीं आ पा रही है।

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