NOW HINDUSTAN कोरबा:- एसईसीएल की दीपका ,गेवरा ,कुसमुंडा और कोरबा क्षेत्र के खुली खदानों में सुरक्षा मापदंड का पालन नही किया जा रहा है । कोल माइनिंग रेगुलेशन 2017 के धारा 196 में उल्लेखित नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है और आमजनों की जान माल कीं सुरक्षा की अनदेखी हो रही है । कोयला उत्खनन व उत्पादन लक्ष्य को हासिल करने के लिए नियमो को ताक में रखा जा रहा है गांवो में स्थित मकानों और रिहायशी इलाकों तक खदान का विस्तार कर लिया गया है। ब्लास्टिंग के कारण घरों में पत्थर गिरने से जख्मी होना , मकानों में दरार आना व छत का गिरना , हैण्डपम्प , बोर का धसकने जैसी घटनाएं आम हो चुकी है । खदान विस्तार से पूर्व प्रभावित ग्रामों को बिना हटाये जबरदस्ती खनन कार्य हो रहा है । ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति ने निदेशक खान सुरक्षा महानिदेशालय धनबाद को शिकायत करते हुए कार्यवाही करने की मांग किया है ।
ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याकण समिति के अध्यक्ष सपूरन कुलदीप ने कहा है कि कोरबा जिले में लगभग 60 वर्ष पूर्व से कोयला खदाने संचालित है औऱ समय -समय पर भूअर्जन से सबन्धित अधिनियमो में बदलाव जिसमे कोल इंडिया पालिसी 2012 लागू होने के बाद से ग्रामीणों /भूविस्थापितों के साथ प्रबन्धन का आपसी सबन्ध लगातार बिगड़ता गया है । प्रबन्धन अपने खनन क्षेत्र से प्रभावित इलाकों में सीएसआर के तहत दी जाने वाली बुनयादी सुविधाओं से वंचित रखती है । भूमि अधिग्रहण के एवज में दी जाने वाली रोजगार , बसाहट और मुआवजा राशि के लिए लोंगो को भटकना पड़ रहा है । लगभग 20 वर्ष पूर्व अर्जित भूमि के एवज में उक्त सुविधा प्रदान नही किये जाने से नाराज भूविस्थापित, स्थानीय बेरोजगार अपनी मांगों को लेकर आये दिन खदानों में उतरकर उत्पादन बाधित करने के लिए मजबूर हो जाते हैं ।
उन्होंने बताया कि कोई बड़ी दुर्घटना का इंतजार करने के बजाय गांव के नजदीक खनन कार्य को बंद कराने और तत्काल DGMS की विशेषज्ञ टीम से मौके की जांच कराने की मांग की गई है ।