NOW HINDUSTAN. Korba. खिलौनों से खेलने की उम्र में उसी को जोड़ने में काम आने वाला केमिकल बच्चों और किशोरों के जीवन की डोर तोड़ रहा है। इस सस्ते और घातक नशे की गिरफ्त में अधिकतर कूड़ा चुनने वाले हैं। स्थिति इस कदर भयावह हो चली है कि इस वर्ग के बच्चे हर टोले, मोहल्ले व चौक, चौराहे पर रूमाल या प्लास्टिक में केमिकल छिड़क उसे सूंघते दिखने लगे हैं। स्टेशनरी से लेकर किराना दुकान, साइकिल दुकान और गुमटी चलाने वाले व्यवसाई चंद रुपयों की लालच में किसी को सुलेशन बेच दे रहे हैं। कम से कम 10 रूपये और अधिक से अधिक 50 रूपये में नशे का यह साधन उपलब्ध है। दुकानदार की मानें तो यह सुलेशन प्लास्टिक के सामान व टूटे-फूटे पार्ट पूर्जे को जोड़ने के साथ कागज चिपकाने में काम आता है। वाहनों के ट्यूब पंक्चर बनाने में भी इसका प्रयोग होता है।
*इस तरह होता है इस्तेमाल :
संबंधित केमिकल के एक पैकेट को खरीद कर कहीं अकेले में बैठ कर प्लास्टिक की पन्नी पर उसे पहले निचोड़ देते हैं। उसके बाद हथेली में बंद कर नाक के पास ले जाकर सांस खींचते हैं। पांच मिनट बाद उन पर नशा हावी होने लगता है। नशे का प्रभाव चार से पांच घंटे तक रहता है। इस तरह दिन में दो बार और कभी कभी शाम में भी इसकी एक डोज लेते हैं। यह नशा शरीर को सुन्न कर देता है।
इन बच्चों को बड़ी आसानी के साथ झोपड़पट्टी इलाकों में, रेलवे स्टेशन के आसपास या बस स्टैंड के आसपास बड़ी आसानी के साथ देखा जा सकता है । पुलिस विभाग समय पर नशे के खिलाफ अभियान चलाती है । लेकिन इस प्रकार के नशे को लेकर कोई जन जागरूकता अभियान बच्चों के बीच नहीं चलाया जा रहा है। जिसकी काफी आवश्यकता है जिला प्रशासन को चाहिए कि ऐसा नशा जो दवाइयां में और पंचर बनाने के काम आता है उसे पर रोक लगाने के लिए कठोर कार्रवाई करें । साथ ही बच्चों के बीच इन नशो को लेकर जन जागरूकता अभियान चलाया जाए ताकि बच्चे इस प्रकार के नशे से होने वाली भयंकर तकलीफों से बच सके।