जन्म से एक वर्ष तक लगने वाले टीके हैं महत्वपूर्ण, यूनिसेफ और पं. रविशंकर विश्विद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में कार्यशाला का आयोजन…

Rajesh Kumar Mishra
Rajesh Kumar Mishra
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कोरबा। यूनिसेफ और पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में ‘नियमित टीकाकरण में धार्मिक और आदिवासी नेताओं की भूमिका’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन 7 नवंबर को होटल महाराजा में किया गया। जिसमें दो सत्र में पत्रकारों और ग्रामीण इलाकों से आये वैद्य, बैगा-गुनिया, धर्मगुरु तथा सामाजिक पदाधिकारीयों के साथ विशषज्ञों द्वारा विस्तृत चर्चा की गई।

यूनिसेफ के स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉक्टर अक्षय तिवारी ने बताया कि बच्चे को जन्म से लेकर 1 वर्ष के भीतर लगने वाले टीके काफी महत्वपूर्ण होते हैं और ये टीकाकरण शिशु मृत्यु दर कम करने का सबसे कारगर उपाय है।

ज्ञात हो कि एनएचएफएस-5 के अनुसार छत्तीसगढ़ में पूर्ण टीकाकरण की दर 79.6 प्रतिशत है। यह राज्य सरकार के अथक प्रयासों से ही संभव हो सका है। छत्तीसगढ़ राज्य में टीकाकरण कार्यक्रम प्रतिवर्ष 7.1 लाख गर्भवती महिलाओं और 6.2 नवजात शिशुओं तक पहुंचता है। इसके लिए प्रतिवर्ष 4 लाख से ज्यादा टीकाकरण सत्र आयोजित किये जाते हैं। टीको को 760 कोल्ड चैन पॉइंट्स के माध्यम से लाभार्थियों तक पहुंचाया जाता है। राज्य में टीकाकरण कार्यक्रम के तहत 10 टीके दिए जा रहे हैं जो नवजात शिशुओं को 13 बीमारियों से बचाते हैं। टीकाकरण कार्यक्रम को बेहतर कैसे बनाया जाए जिससे राज्य में टीकाकरण दर और बेहतर हो इसी विषय को लेकर कोरबा जिले के वैद्य, गायता, बैगा-गुनिया, धर्मगुरु तथा सामाजिक पदाधिकारीयों के साथ चर्चा की गई।

 

टीकाकरण कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी देकर नियमित टीकाकरण में किस प्रकार वे एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते है यह भी बताया गया। वरिष्ठ पत्रकार एवं एमसीसीआर समन्वयक डी. श्याम कुमार ने बताया कि नियमित टीकाकरण कार्यशाला का उद्देश्य, बच्चों में टीकाकरण और उससे जुड़े तथ्यों के बारे में एक सार्थक चर्चा है, ताकि इसका फायदा ज्यादा से ज्यादा बच्चों तक पहुंचे। इस विषय पर जो चर्चा हुई उसमें आपने अपनी जिज्ञासा व प्रश्न साझा कर समाधान भी ढूढ़ा। इस कार्यशाला के माध्यम आपने जो भी सीखा है उसका लाभ अधिक से अधिक बच्चों तक पहुँचाएँगे ऐसी अपेक्षा है।

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