NOW HINDUSTAN. Korba. कोरबा की प्रतिष्ठित सामाजिक संस्था श्री श्याम मित्र मंडल की कार्यकारिणी गठन को लेकर चल रहे विवाद पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, बिलासपुर ने शुक्रवार को बड़ा आदेश पारित किया है। न्यायालय ने सहायक पंजीयक, फर्म्स एवं सोसाइटीज़, बिलासपुर को निर्देश दिया है कि वे सभी संबंधित पक्षों को सुनवाई का उचित अवसर देते हुए 45 दिनों के भीतर निर्णय लें।
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यह आदेश न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा की एकलपीठ ने याचिका क्रमांक WPC/5077/2025 में पारित किया। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह आदेश केवल प्रशासनिक प्रक्रिया को गति देने के लिए है और न्यायालय ने मामले के गुण-दोष (Merits) पर कोई टिप्पणी नहीं की है।


मनोज अग्रवाल की दलील “आदेश क्षेत्राधिकार से बाहर”
याचिकाकर्ता मनोज अग्रवाल, जो स्वयं को श्री श्याम मित्र मंडल की कार्यकारिणी का अध्यक्ष बताते हैं ने हाईकोर्ट में दलील दी कि सहायक पंजीयक का आदेश दिनांक 4 अगस्त 2025 “क्षेत्राधिकार से बाहर” था।
उनका कहना था कि 29 जुलाई का पत्र विधिसंगत था लेकिन उसके विपरीत 4 अगस्त को जारी नोटिस सहायक पंजीयक के अधिकार क्षेत्र से परे था जिसे निरस्त किया जाना चाहिए।
सहायक पंजीयक ने 4 अगस्त को दोनों पक्षों को 20 अगस्त को सुनवाई हेतु बुलाया था और मूल दस्तावेज़ प्रस्तुत करने का अवसर दिया था। इस दौरान गोपाल अग्रवाल पक्ष ने अपने दस्तावेज़ पेश किए जबकि मनोज अग्रवाल पक्ष ने आदेश को चुनौती दी। बाद में मनोज अग्रवाल के कोषाध्यक्ष दीपक मित्तल और पूर्व अध्यक्ष रोहिणी सुल्तानिया ने 11 सितंबर को सहायक पंजीयक को पत्र भेजकर उक्त नोटिस को निरस्त करने का अनुरोध किया। इसी आधार पर मनोज अग्रवाल ने याचिका WPC/5077/2025 दायर की थी।
हाईकोर्ट ने कहा “विवाद का त्वरित समाधान आवश्यक”
न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा ने अपने आदेश में कहा कि प्रकरण की परिस्थितियों को देखते हुए लंबित आवेदन पर निर्धारित समय सीमा में निर्णय लेना आवश्यक है ताकि विवाद का शीघ्र समाधान हो सके। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह आदेश केवल प्रशासनिक स्तर की कार्यवाही को आगे बढ़ाने के लिए है।
सहायक पंजीयक ने जारी किया अंतिम सुनवाई का नोटिस
हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में सहायक पंजीयक श्री ज्ञान प्रकाश साहू ने दोनों पक्षों मनोज अग्रवाल और गोपाल अग्रवाल को अंतिम सुनवाई हेतु नोटिस जारी कर दिया है।
निर्धारित तिथि 29 अक्टूबर 2025 को दोनों पक्षों को अपने-अपने मूल दस्तावेज़ों सहित उपस्थित होने के निर्देश दिए गए हैं। पत्र में यह भी उल्लेख है कि यदि कोई पक्ष अनुपस्थित रहता है, तो प्रकरण एकतरफा (Ex-Parte) रूप से उपलब्ध अभिलेखों के आधार पर निर्णय किया जाएगा।