मड़वारानी मंदिर से लगे गुणवत्ताहीन सर्विस रोड में बना गढ्ढा हादसों को दे रहा आमंत्रण…..

Rajesh Kumar Mishra
Rajesh Kumar Mishra
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बरसात बीतने के बाद भी मरम्मत की नहीं ली जा रही सुध

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अंडर ब्रिज पर अवैध कब्जा! बना अस्थाई टैक्सी स्टैंड

 राष्ट्रीय राजमार्ग 149बी में सिर्फ टोल टैक्स की हो रही वसूली

NOW HINDUSTAN.  Korba.   राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 149बी कोरबा-चांपा में एनएचएआई प्रबंधन की उदासीनता, ठेकेदार की लापरवाही आम जनता पर भारी पड़ रही हैं। मड़वारानी मंदिर से लगे सर्विस रोड तकनीकी मानकों गुणवत्ता की अनदेखी से जानलेवा बन चुकी है। अधुरे सड़क, सर्विस रोड के साथ टोल प्लॉजा के जरिए टोल वसूली में मस्त एनएचएआई के जिम्मेदार अधिकारी, ठेकेदार की मनमानी की वजह से जर्जर सर्विस रोड गंभीर दुर्घटना को आमंत्रण दे रहे है। वहीं प्रशासन की मूकदर्शक वाली भूमिका आस्था के साथ मंदिर पहुंचने वाले लोगों के मन में शासन-प्रशासन के प्रति अविश्वास की भावना उत्पन्न कर रही है।

राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 149बी कोरबा-चांपा मार्ग के स्वीकृति से लेकर तैयार होने में जिस तरह का लंबा इंतजार और कष्ट मड़वारानी बरपाली वासियों को सहन करने पड़े हैं। शायद ही किसी परियोजना में देखने को मिले। लेकिन देर सबेर जब उरगा से सरायपाली तक फोरलेन तैयार हुई है। तो उसमें भी आधी-अधूरी सर्विस रोड के बीच 2 माह पूर्व ही पचपेड़ी में टोल प्लॉजा शुरू कर टोल वसूली शुरू कर दी गई है। इस मनमानी के खिलाफ विरोध के स्वर भी फूटे थे, लेकिन वो भी कुछ समय बाद ठंडे पड़ गए और मार्ग में टोल वसूली की जा रही है। जबकी बरपाली में एवं मड़वारानी में पूरी तरह डामरीकृत सर्विस रोड तैयार नहीं किया जा सका है।

बरपाली में अंडर ब्रिज से आगे का हिस्सा राइस मिल के कोर्ट प्रकरण की वजह से अटका है तो उसी लाइन के शेष अविवादित हिस्से में भी फर्म के द्वारा सर्विस रोड का पक्कीकरण नहीं किया जा सका हैं। ग्राम मड़वारानी की तो यहाँ सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मड़वारानी मंदिर से लगे सर्विस रोड के निर्माण में इस कदर गुणवत्ता की अनदेखी कर ठेकेदार ने खानापूर्ति की थी कि पहली ही बरसात में ही सर्विस रोड की धज्जियाँ उड़ गई। बरसात भर मुसाफिरों, माँ मड़वारानी मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं व स्थानीय निवासियों को जर्जर सर्विस रोड में हिचकोले खाने पड़े। लेकिन अब बरसात बीतने के बाद भी एनएचएआई सर्विस रोड की सुध नहीं ले रही।

मंदिर में पूजन सामाग्री विक्रेताओं ने बताया कि बरसात के पूर्व अधिकारियो ने आश्वस्त किया था कि बरसात के बाद सर्विस रोड की मरम्मत कराई जाएगी पर अभी तक वे अपने वादों पर अमल नहीं कर सके। नतीजन मुसाफिरों मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की मुसीबतें बढ़ गई है। सड़क में जमा पानी, कीचड़ भी वाहनों के चलने से निर्माणाधीन मंदिर तक आ पहुंचते हैं। जिससे लोगों की आस्था भी आहत हो रही है।

सर्विस रोड या राजमार्ग की स्थिति खराब होने पर टोल नहीं वसूला जा सकता। अदालतों ने खराब सड़कों की स्थिति का हवाला देते हुए टोल वसूली पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं। अगर खराब सड़क के कारण कोई सेवा नहीं मिलती है, तो टोल भी नहीं लिया जा सकता है। राष्ट्रीय राजमार्गों के रखरखाव का काम देख रहे ठेकेदारों को यह सुनिश्चित करना होता है कि सर्विस रोड सहित सभी सुविधाओं का उचित रखरखाव हो। खराब स्थिति पाए जाने पर, एनएचएआई ठेकेदार पर कार्रवाई कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने माह अगस्त 2025 में केरल उच्च न्यायालय के उस दृष्टिकोण की पुष्टि की, जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि हाईवे की स्थिति बहुत खराब है तो भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) यात्रियों को टोल देने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने केरल उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ एनएचएआई की अपील खारिज कर दी, जिसमें सड़क की खराब स्थिति के कारण त्रिशूर जिले के पलियेक्कारा में एनएच-544 पर टोल वसूली पर रोक लगा दी गई थी। डॉ. एस. मुरलीधर पीठ ने उच्च न्यायालय के इस दृष्टिकोण से स्पष्ट रूप से सहमति व्यक्त करी कि टोल चुकाने वाला नागरिक अच्छी सड़कों की मांग करने का समान अधिकार प्राप्त करता है, यदि उस अधिकार की रक्षा नहीं की जाती है, तो एनएचएआई या उसके प्रतिनिधि टोल की मांग नहीं कर सकते। पीठ ने कहा था कि हम उच्च न्यायालय के इस तर्क से सहमत हैं। कि-संवैधानिक प्रावधानों के तहत उपयोगकर्ता शुल्क का भुगतान करने का जनता का दायित्व इस आश्वासन पर आधारित है कि सड़क का उनका उपयोग बिना किसी बाधा के होगा। जब जनता कानूनी रूप से उपयोगकर्ता शुल्क का भुगतान करने के लिए बाध्य होती है, तो साथ ही उसे सड़क तक निर्बाध, सुरक्षित और विनियमित पहुंच की मांग करने का समान अधिकार भी प्राप्त होता है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण या उसके प्रतिनिधियों द्वारा ऐसी पहुंच सुनिश्चित करने में कोई भी विफलता जनता की वैध अपेक्षाओं का उल्लंघन है और टोल व्यवस्था के मूल आधार को ही कमजोर करती है।

जहाँ बरपाली, मड़वारानी सर्विस रोड की स्थिति खराब है तो वहीं अधिकारियो की अनदेखी की वजह से अंडरब्रिज में अवैध कब्जा हो चुका है। दोनों ही जगह दुकानें लग गई हैं। बरपाली में तो स्थिति सबसे ज्यादा खराब है यहाँ अंडर ब्रिज में बरपाली का डेली मार्केट ही सज गया है, यही नहीं अस्थाई टैक्सी स्टैंड बन गया है। तहसील मुख्यालय होने की वजह से इसे प्रशासनिक लापरवाही भी कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। तहसीलदार नियमित यह नजारा देखते हुए आगे बढ़ जाते हैं, समय-समय पर अन्य उच्च प्रशासनिक अधिकारियों का भी यहाँ आगमन बना रहता है। एनएचएआई के अधिकारी भी इससे वाकिफ हैं। बावजूद ऐसी स्थिति निराशाजनक है। कई मौकों पर लोग दुर्घटना का शिकार होते-होते बचे हैं। बावजूद एनएचएआई, जिम्मेदार अधिकारियों को इसकी सुध नहीं।

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