बालको श्रमवीरों की बड़ी जीत — कूटरचित दस्तावेज़ मामले में न्यायालय ने बालको प्रबंधन के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने दिया आदेश …..

Rajesh Kumar Mishra
Rajesh Kumar Mishra
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NOW HINDUSTAN. Korba.  बालको में काम कर रहे हजारों स्थायी और अस्थायी मजदूरों के अधिकार को कमजोर करने और उनकी स्थायीकरण की प्रक्रिया को रोकने के लिए बालको प्रबंधन द्वारा दस्तावेज़ों में फर्जीवाड़ा किए जाने का मामला अब गंभीर रूप ले चुका है।

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न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी कोरबा (श्रीमती डॉली ध्रुव) ने बालको प्रबंधन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468 और 471 के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज करने का आदेश दिया है। साथ ही बालको प्रबंधन के प्रतिनिधि प्रतीक जैन को न्यायालय में उपस्थित होने का नोटिस जारी किया गया है।

मामला कैसे शुरू हुआ:-
साल 2017-18 के वेतन समझौते के अनुसार ठेका श्रमिकों को वेतन वृद्धि और पदोन्नति दिया जाना था।
लेकिन ठेकेदार और प्रबंधन इन अधिकारों को देने से लगातार बचते रहे।
इसी न्याय के लिए बालको कर्मचारी संघ ने
13 अप्रैल 2022 से परसाभांठा गेट पर शांतिपूर्ण आंदोलन शुरू किया।

बालको प्रबंधन ने आंदोलन को रोकने के लिए फर्जी कागज़ पेश किए:-
बालको प्रबंधन ने श्रम न्यायालय, कोरबा में जाकर कहा कि यह हड़ताल अवैध है।
प्रबंधन ने पंजीकृत स्थायी आदेश की एक ऐसी नकली प्रति पेश की,
असली आदेश में 6 महीने काम करने वाले अस्थायी मजदूर को स्थायी माना जाता है
इस प्रावधान को हटा दिया गया और उसके स्थान पर फर्जी तरीके से दूसरा परिभाषा दर्ज कर दिया गया।

इसका सीधा मतलब था —
हजारों मजदूर, जो स्थायी होने के हकदार थे, उन्हें स्थायी घोषित न किया जाए,
उनका वेतन, बोनस, पीएफ, मेडिकल लाभ, प्रमोशन — सभी अधिकार रोक दिए जाएँ।
यानी मजदूरों का सीधा आर्थिक नुकसान और कंपनी का लाभ।

जब प्रबंधन द्वारा दी गई दस्तावेज़ों की प्रति को
संघ के अधिवक्ता अब्दुल नफ़ीस खान ने असली पंजीकृत स्थायी आदेश से मिलाया, तो तत्काल पता चला कि दस्तावेज़ — कूटरचित (फर्जी) हैं।
मामला श्रम न्यायालय में रखा गया।
श्रम न्यायालय ने 06 मई 2022 को आदेश देते हुए कहा:
“प्रबंधन द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत स्थायी आदेश असली नहीं है।
इसके प्रावधानों में बदलाव किया गया है।
ऐसा दोबारा न हो , प्रबंधन को सख्त चेतावनी दी गई।”

पुलिस कार्रवाई नहीं होने पर मजदूरों को मजबूर होकर न्यायालय जाना पड़ा:- बालको कर्मचारी संघ ने थाना बालको और पुलिस अधीक्षक, कोरबा को दस्तावेज सहित लिखित शिकायत दी।
लेकिन किसी भी स्तर पर कार्रवाई नहीं हुई। फलस्वरूप संघ को अपने अधिवक्ता अब्दुल नफीस खान के माध्यम से धारा 200 CrPC के तहत न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत करना पड़ा।

न्यायालय में —
थाना बालको से जांच प्रतिवेदन लिया गया।
न्यायालय में परिवादी और उनके गवाहों का बयान दर्ज किया गया।
दस्तावेज़ों की जाँच हुई ,श्रम न्यायालय के आदेश की प्रति पेश की गई, सभी प्रमाण एक समान बात कह रहे थे:
“दस्तावेज़ फर्जी थे और मजदूरों का नुकसान करने की कोशिश की गई।”

माननीय न्यायालय ने अधिवक्ता अब्दुल नफीस खान का तर्क सुनने के बाद और प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर
न्यायालय ने कहा कि यह मामला साधारण नहीं है —
यह धोखाधड़ी, छल, और मजदूरों के कानूनी अधिकारों का हनन है।
इसीलिए न्यायालय ने संज्ञान लेते हुए बालको प्रबंधन के खिलाफ निम्न धाराओं में मामला दर्ज किया:
धारा 420 धोखाधड़ी, 467 महत्वपूर्ण दस्तावेज़ की कूटरचना, 468 धोखाधड़ी हेतु कूटरचना, 471 फर्जी दस्तावेज़ का उपयोग।

मजदूरों के लिए इसका क्या महत्व?
✅ यह फैसला मजदूरों की संगठित एकता और संघर्ष की जीत है
✅ यह साबित करता है कि मजदूरों का अधिकार कागज़ों से नहीं संघर्ष से मिलता है
✅ अब स्थायीकरण, वेतन वृद्धि, सुविधा और सुरक्षा के मुद्दे और मजबूत होंगे
✅ आगे प्रबंधन अब मजदूरों के अधिकार छीनने से पहले 100 बार सोचेगा

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