NOW HINDUSTAN. Korba. जानकारी के अनुसार कोयला मंत्रालय ने कमर्शियल कोल माइनिंग के तहत 14वें दौर की कोयला खदान नीलामी प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस चरण में 7 राज्यों की कुल 41 खदानें शामिल हैं, जिनमें से 15 कोयला खदानें छत्तीसगढ़ की बताई जा रही हैं। इनमें से 5 कोल ब्लॉक कोरबा जिले में स्थित हैं। इन पांच खदानों में 12,725 मिलियन टन से अधिक कोयले का रिजर्व भंडार बताया गया है।
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कोल् ब्लॉक ऑक्शन 2025 की प्रक्रिया का शुभारंभ केंद्रीय कोयला मंत्री जी. किशन रेड्डी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया। इस चरण में कोरबा और करतला विकासखंड के अंतर्गत आने वाले पांच कोल ब्लॉक तौलीपाली, बताती, कोल्गा वेस्ट, मदवानी, करतला साउथ और कलगामार शामिल किए गए हैं। इसके पहले भी केंद्र सरकार ने करतला कोल ब्लॉक को नीलाम करने की कोशिश की थी, लेकिन स्थानीय विरोध के कारण कोई निवेशक आगे नहीं आया था। अब दूसरी बार इन ब्लॉकों की नीलामी की जा रही है।
सभी खदानें घने जंगलों के बीच
कोरबा जिले में चिन्हित सभी कोल ब्लॉक घने जंगलों से घिरे क्षेत्र में हैं। यह क्षेत्र कोरबा की प्राकृतिक सुंदरता और पर्यावरणीय संतुलन के लिए बेहद अहम माना जाता है। यहां के जंगल “ऊर्जाधानी कोरबा” के औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाले प्रदूषण को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
* सभी खदानें मांड-रायगढ़ कोलफील्ड्स क्षेत्र में
नीलामी में शामिल सभी पांच कोल ब्लॉक मांड रायगढ़ कोलफील्ड्स के अंतर्गत आते हैं। तौलीपाली, करतला साउथ और बताती-कोल्गा वेस्ट पूरी तरह कोरबा जिले में हैं। जबकि कलगामार और मदवानी कोल ब्लॉक कोरबा और रायगढ़ की सीमाओं पर फैले हैं।
खदानों का विस्तृत विवरण
कोल ब्लॉक क्षेत्रफल (वर्ग किमी) कोयला भंडार (मिलियन टन)
तौलीपाली 42.50 4320
बताती-कोल्गा वेस्ट 39.37 1145.86
मदवानी 53.81 2750
करतला साउथ 36.40 1160
कलगामार 53.81 3350
कुल अनुमानित भंडार: 12,725 मिलियन टन से अधिक
* हाथियों और अन्य वन्य प्राणियों का आवास क्षेत्र
चिन्हित खदानों का क्षेत्र हाथियों के प्राकृतिक गलियारे अंतर्गत आता है। यहां से हाथियों के झुंड कोरबा से धरमजयगढ़ के बीच नियमित रूप से आवाजाही करते रहते हैं। इसके अलावा इस क्षेत्र में किंग कोबरा, भालू, सियार और अन्य जंगली जीवों की प्रजातियां पाई जाती हैं। स्थानीय पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि कोयला खदानों के खुलने से वन्य प्राणियों और पारिस्थितिकी पर सीधा प्रभाव पड़ेगा।
* स्थानीय विरोध और पर्यावरणीय चिंता
पिछली नीलामी के दौरान स्थानीय लोगों ने करतला कोल ब्लॉक का विरोध किया था। ग्रामीणों का कहना है कि नई खदानें खुलने से खेती योग्य जमीन, जलस्रोत और वन्य जीवन प्रभावित होगा। इस बार नीलामी की प्रक्रिया में सरकार ने स्थानीय सहमति और पर्यावरण मूल्यांकन को प्राथमिकता देने का आश्वासन दिया है।