NOW HINDUSTAN. Korba. अविभाजित मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ बनने के बाद सात बार विधायक रहे बोधराम कंवर ने पहले और अब की स्थिति पर अपने अनुभव साझा किए। बोधराम कंवर के अनुसार कोरबा जिले का राजस्व बढ़ा है, बजट में बढ़ोतरी हुई है, डीएमएफ से विकास भी हो रहा है, लेकिन फंड का सदुपयोग नहीं हो पा रहा है। फंड का सही उपयोग हो तो कोई कमी नहीं रहेगी।
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श्री कंवर का मानना है कि राज्य बनने के पहले फंड की कमी थी। इसके बाद भी ठोस काम होते थे। अभी शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ी राशि खर्च की जा रही है, लेकिन सदुपयोग नहीं हो रहा। जो सबसे ज्यादा जरूरी चीजें हैं, उनकी कमी बनी हुई है। विद्यालयो में शिक्षकों की कमी, लाइब्रेरी, कर्मचारियों की कमी, चिकित्सालयो में अनुभवी चिकित्सकों की कमी, जरूरी दवाइयां यह सभी बुनियादी चीजें हैं, जो आज भी समस्या बनी हुई है।
श्री कंवर का आगे कहना है कि कृषि की पहले लागत कम और उत्पादन अधिक था। इसकी वजह गोबर खाद का उपयोग है। औद्योगिक जिला होने से प्रदूषण बढ़ा है। खेती महंगी हो गई है। किसानों को समय पर खाद-बीज नहीं मिल पा रहा है।
पूर्व विधायक श्री कंवर का कहना है कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने के पहले अफसरशाही कम थी। अब बहुत ज्यादा बढ़ गई है। किसान, जनता, राजनेता की मांग और आवाज भी नहीं सुनते। अपने मन से करते हैं। इसका सबसे बड़ा नुकसान लोगों को हो रहा है। कोरबा जिला पांचवी अनुसूची में शामिल है। इसके बाद भी पंचायत क्षेत्र का अधिकार नाम मात्र का रह गया है। पंचायत प्रतिनिधियों को पहले जैसा महत्व नहीं मिलता।