जरहाजेल के भू विस्तपितों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर जमीन वापसी के साथ पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने की मांग की……..

Rajesh Kumar Mishra
Rajesh Kumar Mishra
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*एसईसीएल ने जमीन अधिग्रहण किया लेकिन रोजगार और बसावट नहीं दिया*

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*एसईसीएल भूमि अधिग्रहण और अवार्ड के प्रावधानों का उलंघन कर रही है*

NOW HINDUSTAN. Korba. एसईसीएल कुसमुंडा क्षेत्र द्वारा ग्राम जरहाजेल तहसील दर्री में अन्य ग्रामो की पुनर्वास के लिए पेड़ों की कटाई की अनुमति मांगी गई है जबकि उक्त ग्राम की जमीन अर्जन के लिए वर्ष 1983 में पारित अवार्ड में स्पष्ट रूप से 20 वर्ष पश्चात मूल खातेदारों को जमीन वापसी करने की शर्त रखी गयी है ऐसी व्यवस्था के विपरीत जबरदस्ती किसानो के साथ अन्यायपूर्ण कार्यवाही हो रही है जरहाजेल के ग्रामीणों ने पूर्व में अधिग्रहित जमीन किसानों को वापस करने के साथ पेड़ो के कटाई के लिए मांगे गई अनुमति को रद्द करने की मांग को लेकर कलेक्टर कार्यालय के सामने प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा।

जरहाजेल के भू विस्थापित दामोदर श्याम,इंद्रप्रकाश और घासीराम कैवर्त ने कहा की उक्त भूमि को मध्यप्रदेश भू-राजस्व सहिता 1959 की धारा 247/1 के तहत भूमि का अधिग्रहण किया गया था और एस.ई.सी.एल. (तत्कालिन पश्चिमी कोयला प्रक्षेत्र ) कुसमुण्डा कालरी के प्रबंधक द्वारा तत्कालिन अतिरिक्त कलेक्टर कोरबा म.प्र. को कोयला उत्खनन के लिए म.प्र. भू-राजस्व सहिता 1959 कि धारा 247/3/ के तहत अनुमति चाही गई थी जिसपर न्यायालय अतिरिक्त कलेक्टर कोरबा म.प्र. राजस्व प्रकरण क्र.1 / अ-67/82-83 दिनांक 27/04/1983 को आदेश पारित कर पाँच बिंदुओ के शर्तों के आधार पर दखल करने का अधिकार दिया गया था । जो कि निम्नानुसार है –
माननीय न्यायालय अतिरिक्त कलेक्टर कोरबा म.प्र. के द्वारा उल्लेखित शर्तों के अनुसार पारित आदेश 27/04/1983 के बाद 20 वर्षों के बाद उत्खनन् हुए क्षेत्र एवं आवास गृह, रेलवे लाईन सडक आदि निर्माण के लिए चाही गई जमीन को 60 वर्षो के बाद भू-स्वामियों को वापस करना होगा | संबंधित व्यक्ति को भूमि के वापसी तक भू-राजस्व शासन द्वारा निर्धारित आधार पर अदा करना होगा विस्थापित परिवारो को आवश्यक सुविधाए कंपनी द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा। राज्य शासन द्वारा समय-समय पर बनाए गये नियम व शर्तों के लिए कंपनी बंधन कारी होगा।
उन्होंने कहा कि इस आदेश पत्र में निहित शर्तो में अपने परियोजना अंतर्गत अन्य गाँवों को बसाहट दिए जाने का प्रावधान नहीं रखा गया था | उसके बावजूद इस क्षेत्र में पुनर्वास देने का प्रयास किया जा रहा है जो अनुचित है | उक्त गांव में आज भी रोजगार एवं मुआवजा के कई प्रकरण लंबित है जमीन जाने के बाद विस्थापित रोजगार के लिए भटक रहे हैं किसी भी विस्थापित को बसावट प्रदान नहीं किया गया है। जमीन अधिग्रहण के एवॉर्ड उपलब्ध नहीं होने के नाम पर दर्जनों रोजगार को रोक कर रखा गया है जब एवॉर्ड कैसे हुआ एसईसीएल बता ही नहीं पा रहा है तो जमीन का उपयोग कैसे किसानों की जमीन का उपयोग एसईसीएल ने किया। यदि आवश्यक ही था तो आवार्ड में दिए गए प्रावधान के अनुसार राज्य सरकार के नीति का पालन कर किसानो के पुन:अर्जन की कार्यवाही किया जाना था जिसका पालन नहीं किया गया |

जरहाजेल के भू विस्थापितों ने कहा की अधिग्रहित जमीन पर लगे पेड़ों की कटाई के लिए मांगे गए अनुमति रद्द करने और जमीन को मूल खातेदारो / परिवार के सदस्यों को सुपुर्दगी करना सुनिश्चित करने की मांग की है और कहा है ऐसा नहीं होने पर आन्दोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

ज्ञापन सौंपने में प्रमुख रूप से संतोष,बजरंग सोनी,मोहन, फीरत,पुरषोत्तम,हरिशरण,विशेश्वर,शिव नारायण,दीनानाथ,डुमन, दुलचंद,रेशम,गंगा प्रसाद,टकेश्वर,कमलेश,केदार कश्यप,लक्ष्मण,वीरेंद्र,राकेश, के साथ बड़ी संख्या में ग्राम जरहाजेल के भू विस्थापित उपस्थित थे।

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