विजया एकादशी,विजय प्राप्ति के लिए इस दिन श्रीहरि की पूजा करना विशेष फलदायी माना गया…

Rajesh Kumar Mishra
Rajesh Kumar Mishra
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NOW HINDUSTAN फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी विजया एकादशी के नाम से जानी जाती है। विजय प्राप्ति के लिए इस दिन श्रीहरि की पूजा करना विशेष फलदायी माना गया है। विजया एकादशी को लेकर मान्यता है कि इस व्रत को रखने से व्यक्ति को सर्वत्र विजय मिलती है, हर शुभ कार्य पूर्ण होता है। लंका विजय करने की कामना से बकदाल्भ्य मुनि के आज्ञानुसार समुद्र के तट पर भगवान राम ने इसी एकादशी का व्रत किया था। जिसके प्रभाव से रावण का वध हुआ और भगवान रामचंद्र की विजय हुई।

इस व्रत के विषय में पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में वर्णन मिलता है, कहा जाता है कि जब जातक शत्रुओं से घिरा हो तब विकट से विकट से परिस्थिति में भी विजया एकादशी के व्रत से जीत सुनिश्चित की जा सकती है। विजया एकादशी पापों का नाश करता है।

विजया एकादशी कब ?
पंचांग के अनुसार फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी 6 मार्च 2024 को सुबह 06.30 से शुरू होकर अगले दिन 7 मार्च 2024 को सुबह 04.13 तक रहेगी।

6 मार्च 2024 – हिंदू धर्म में एकादशी व्रत उदयातिथि के अनुसार किया जाता है लेकिन जब एकादशी तिथि दो दिन पड़ रही हो तो ऐसे में गृहस्थ (स्मार्त संप्रदाय) जीवन वालों को पहले दिन एकादशी व्रत करना चाहिए। विजया एकादशी व्रत 6 मार्च 2024 को रखना श्रेष्ठ होगा।

7 मार्च 2024 – इस दिन वैष्णव संप्रदाय के लोग विजया एकादशी का व्रत करेंगे। दूजी एकादशी यानी वैष्णव एकादशी के दिन सन्यासियों, संतों को एकादशी का व्रत करना चाहिए।

विष्णु पूजा समय – सुबह 06.41 – सुबह 09.37

विजया एकादशी का व्रत पारण – दोपहर 01.43 – शाम 04.04 (7 मार्च 2024- गृहस्थ)

विजया एकादशी व्रत पारण – सुबह 06.38 – सुबह 09.00 (8 मार्च 2024 – वैष्णव)

विजया एकादशी की पूजा विधि
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विजया एकादशी के दिन स्नानादि से निवृत्त होकर निराहर व्रत रखें।

घर में बाल गोपाल की पूजा करें। श्रीहरि का भी अभिषेक करना चाहिए।

हार-फूल और वस्त्रों से श्रृंगार करें। गोपी चंदन का तिलक लगाएं। पूजा के दौरान ये मंत्र जपें – कृं कृष्णाय नम:, ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम:

केला, माखन-मिश्री का भोग तुलसी के साथ लगाएं। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से लक्ष्मी जी घर में ठहर जाती है।

आरती के बाद प्रसाद वितरण करें और रात्रि जागरण करें गीता का पाठ करें।

किसी गोशाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें।

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