NOW HINDUSTAN इस दिन महिलाएं भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा करती हैं और पति की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं। पं. मोहनलाल द्विवेदी ( हस्तरेखा, जन्मकुंडली एवं वास्तु विशेषज्ञ ) ने बताया कि सोमवती अमावस्या इस साल 8 अप्रैल को है। चैत्र मास की अमावस्या इस बार सोमवार के दिन पड़ रही है इसलिए इसे सोमवती अमावस्या कहा जा रहा है। चैत्र मास की अमावस्या का शास्त्रों में बहुत ही खास महत्व माना गया है और जब यह सोमवार को पड़ती है तो इसका धार्मिक महत्व और बढ़ जाता है। सोमवती अमावस्या पर महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं और बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। सोमवती अमावस्या पर पितरों के नाम से पूजा करने का बहुत ही खास महत्व होता है और उनके नाम से ब्राह्मणों को भोजन करवाने और दान पुण्य करने से आपको विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
सोमवती अमावस्या का शुभ मुहूर्त
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सोमवती अमावस्या 7 अप्रैल को रात 2 बजकर 17 मिनट से आरंभ होगी और जो 8 अप्रैल को रात को 11 बजकर 55 मिनट तक मान्य होगी। इसलिए सोमवती अमावस्या का व्रत 8 अप्रैल दिन सोमवार को होगा। यही दिन चैत्र मास की अमावस्या के लिए भी मान्य होगा। इसी दिन चैत्र अमावस्या का भी व्रत रखा जाएगा। 8 अप्रैल को सोमवती अमावस्या का स्नान और दान ब्रह्म मुहूर्त में 4 बजकर 32 मिनट से लेकर 5 बजकर 18 मिनट तक होगा।
सोमवती अमावस्या का महत्व
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सोमवती अमावस्या के दिन अधिकांश रूप से सुहागिन महिलाएं व्रत करके भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा करती हैं और सुहाग की सामग्री मां पार्वती को अर्पित करके अपने अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मांगती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर होती हैं और आपको आपके परिवार में सुख शांति बढ़ती है। सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करके दान पुण्य करने से आपको पितरों का संपूर्ण आशीष प्राप्त होता है और वे आपसे प्रसन्न होते हैं।
सोमवती अमावस्या की व्रत विधि
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सोमवती अमावस्या के दिन सुबह जल्द स्नान करके व्रत करने का संकल्प लें और शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग का जलाभिषेक करें। शिवलिंग को दूध और जल से स्नान करवाएं और उसके बाद अक्षत, बेलपत्र, भांग, मदार, धूप, दीप, शहद, नैवेद्य अर्पित करें। इसके साथ ही माता पार्वती को सिंदूर, फूल, फल, धूप, दीप और सुहाग की सामग्री अर्पित करें। आरती करें और शिव चालीसा का पाठ करें। इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ के चारों तरफ परिक्रमा करके कच्चा सूत का धागा पर उस पर लपेटती हैं। इसके साथ भगवान से प्रार्थना करती हैं कि उनके पति की आयु भी बरगद के पेड़ के समान लंबी हो।