कोरबा जिले का जंगल पहले ही वन्य प्राणियों के लिए बेहतर आवास माना जाता है। वहीं हाथियों को यह जंगल और भा गया है। जिसके चलते अब यह हाथी कटघोरा वनमंडल में ही रहना पसंद कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर यह हाथी अब राष्ट्रीय राजमार्ग को भी अपना स्थाई ठिकाना बना चुके हैं और हर दूसरे दिन राष्ट्रीय राजमार्ग को पार करने के दौरान लगातार राष्ट्रीय राजमार्ग की रफ्तार भी प्रभावित हो रही है। राष्ट्रीय राजमार्ग में हाथियों का झुंड डेरा डाला हुआ है। जिसके चलते वन विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है।
लगभग तीन दशक पहले हाथियों ने कोरबा वनमंडल के कुदमुरा रेंज में दस्तक दी थी और हाथी मात्र कोरबा वनमंडल में ही विचरण करते थे, लेकिन पिछले पांच वर्षों से हाथियों के झुंड ने कटघोरा वनमंडल में दस्तक दी है और इन हाथियों को कटघोरा वनमंडल में बेहतर रहवास मिल रहा है जिसके चलते अब यह हाथी यही के होकर रह गए हैं और जंगल को छोड़कर दूसरे जंगल में नहीं जा रहे हैं। लगातार हाथी पिछले 5 वर्षों से इसी इलाके में बने हुए हैं अब हाथी तो राष्ट्रीय राजमार्ग को भी अपना स्थाई ठिकाना बना चुके हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 130 बिलासपुर-अंबिकापुर मुख्य मार्ग में कटघोरा वनमंडल के केंदई रेंज में पड़ने वाले कापानवापारा हाथियों के लिए स्थाई ठिकाना बन चुका है।
बताया जाता है कि कापानवापारा के पास हाथी अक्सर हर दिन या दूसरे दिन इस राष्ट्रीय राजमार्ग को पार करते आसानी से देखे जा सकते हैं। हाथी इस राष्ट्रीय राजमार्ग को पार भी करते हैं और पर्यटक इस लम्हे को अपने कमरे में कैद भी करते हैं और हाथी को देखने का भरपूर मजा भी लेते हैं। इस इलाके में लोग पर्यटन का जमकर लाभ भी ले रहे हैं। वहीं दूसरी ओर हाथी लगातार इस इलाके में और राष्ट्रीय राजमार्ग पर विचरण कर रहे हैं। जिससे वन विभाग की मुश्किलें बढ़ गई है और वन विभाग में कोई जनधन की हानि ना हो और आम जनता को किसी तरह की परेशानी ना हो इसके लिए कटघोरा वनमंडल अधिकारी कुमार निशांत के निर्देश पर विभाग ने अलर्ट जारी किया है और हाथियों को सुचारू रूप से हाईवे को पार कराया जा सके इसके लिए एक वन विभाग की स्पेशल टीम को भी इस इलाके में तैनात की है। बताया जाता है कि पिछले 15 दिनों से हाथियों का झुंड राष्ट्रीय राजमार्ग को लगभग प्रतिदिन पार कर रहे हैं जिसकी वजह से रोज राष्ट्रीय राजमार्ग की रफ्तार प्रभावित हो रही है।
* राष्ट्रीय राजमार्ग पर अंडरपास और ओवरपास बनाने की हो रही है पहल
कटघोरा वनमंडल में विचरण करने वाले हाथी केंदई वन परिक्षेत्र से पसान तो कभी पसान परिक्षेत्र से एतमानगर केंदई रेंज में विचरण करते हैं, यह पूरा क्षेत्र राष्ट्रीय राजमार्ग-130 का क्षेत्र है और हाथी अक्सर राष्ट्रीय राजमार्ग-130 पार कर जंगल से इधर से उधर जाते हैं। कटघोरा वनमंडलाधिकारी कुमार निशांत हाथियों को आर-पार आने-जाने में कहीं कोई परेशानी ना हो इसके लिए कटघोरा वनमंडल के अंतर्गत आने वाले एतमानगर व केंदई रेंज अंडरपास व ओवरपास बनाने की दिशा पर प्रयास किया जा रहा है। बताया जाता है कि कटघोरा वनमंडल अधिकारी ने इसके लिए एनएचएआई को पत्र भी लिखा है और संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही इसकी स्वीकृति मिलेगी। इसके बाद अंडर पास और ओवरपास बनाने की दिशा पर पहल की जाएगी। बताया जाता है कि फिलहाल प्रथम चरण में कापानवापारा और परला के पास ओवर पास बनाने की दिशा पर पहली प्राथमिकता होगी। इसके बाद अन्य स्थानों पर भी बनाने की दिशा पर प्रयास किया जाएगा।
* बांगो डूबान में जमकर कर रहे हैं अटखेलियां
केंदई वन परिक्षेत्र अधिकारी अभिषेक दुबे ने जानकारी देते हुए बताया कि हाथियों के झुंड को केंदई वन परिक्षेत्र का इलाका सबसे ज्यादा रास आता है क्योंकि इस इलाके में बांगो डूबान का पूरा इलाका आता है। जहां हाथियों का झुंड अक्सर इस इलाके में नदियों को पार करने के दौरान डूबान क्षेत्र में अटखेलिया करते हैं तो वहीं इस इलाके में इन हाथियों को खाने के लिए चार, पीपल, बरगद सहित विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ उपलब्ध होते हैं। जिसके चलते हाथी इसी इलाके में रहना पसंद करते हैं तो वहीं दूसरी ओर ठंड के समय पसान रेंज में सबसे अधिक भुट्टे की फसल तैयार होती है। जहां इस दौरान पसान रेंज में ही ठंड में सबसे ज्यादा हाथियों का बसेरा रहता है। वन विभाग इन हाथियों को खाने-पीने के लिए पर्याप्त सुख-सुविधा मुहैया हो सके इसके लिए लगातार प्रयास कर रहा है ताकि हाथियों का झुंड जंगल में ही आसानी से भोजन पदार्थ उपलब्ध हो सके और खाने पीने के लिए उन्हें बस्ती के क्षेत्र में जाना ना पड़े।
* रोज राष्ट्रीय राजमार्ग पार कर रहे हैं हाथी
केंदई रेंज में कापानवापारा राष्ट्रीय राजमार्ग 130 को हाथियों का झुंड लगभग रोज पार कर रहे हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग के आसपास का जंगल हाथियों को भा गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग को पार करने में हाथियों को किसी तरह की समस्या ना हो इसके लिए वन विभाग की टीम अलर्ट मोड पर रहती है और रोज राष्ट्रीय राजमार्ग की रफ्तार रोक कर हाथियों को राष्ट्रीय राजमार्ग पार कराया जा रहा है।