कोरबा NOW HINDUSTAN कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे, इसके लिए प्रदेश सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। शासकीय स्कूलों में जहां बिना फीस के बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, वहीं निजी व शासकीय स्कूलों में हाईस्कूल तक की पढ़ाई करने वाले बच्चों को मुफ्त पाठ्य सामाग्री वितरित किया जा रहा है। ऐसा लग रहा हैं की इस योजना पर विभागीय अमला ही बट्टा लगाने में तुला है। बताया जा रहा हैं की स्कूलों में छात्र-छात्राओं को बांटी जाने वाली पुस्तकें कबाड़ दुकान तक पहुंच गयी है। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि बच्चे अपना भविष्य कैसे गढ़ेंगे।
जानकारी के अनुसार कोरबा जिले में स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को पुस्तक वितरण के नाम पर चल रहे गड़बड़झाला का खुलासा उस वक्त हुआ, जब कोरकोमा-झगरहा मार्ग स्थित भुलसीडीह स्थित वनोपज जांच बेरियर में एक वाहन की जांच-पड़ताल की गई। दरअसल प्रतिदिन की तरह रविवार की शाम प्रभारी अमरिका प्रसाद यादव, वनकर्मी गुरूवेंद्र कुर्रे व चौकीदार भीषम सिंह बैरियर में तैनात थे। वे वाहनों की जांच-पड़ताल कर वाहनों को बैरियर से रवाना कर रहे थे। इसी दौरान मालवाहक ऑटो मौके पर पहुंची। इस वाहन में तिरपाल ढंका हुआ था। जब वन कर्मियों ने तिरपाल खोलकर वाहन की जांच की तो उनकी आंखें फटी की फटी रह गई। मालवाहक ऑटो स्कूली पुस्तकों से भरी हुई थी। जिसमें अलग-अलग कक्षा के विभिन्न विषय से संबंधित पुस्तक शामिल थी।
बताया जा रहा हैं की वन कर्मियों ने चालक से पूछताछ की तो उसने अपना नाम कबाड़ गोदाम झगरहा निवासी राकेश कुमार मरावी बताया। उसने जानकारी दी कि व्यवसायी के कहने पर कुदमुरा गया था, जहां से पुस्तक लोडकर कोरकोमा पहुंचा। यहां भी स्कुलों से पुस्तक लोड कर कबाड़ दुकान जा रहा है। वह वन कर्मियों के सामने पुस्तक की खरीदी/बिक्री संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत नही कर सका। वन कर्मियों ने संबंधित अधिकारियों को भी सूचना दे दी है। मामले का पूर्ण खुलासा जांच-उपरांत ही हो सकेगा।
जिले में पहले भी कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें संबंधित विभाग के बाबू और शिक्षकों की लापरवाही सामने आई। करीब तीन साल पहले भी एक मामला सामने आया था, जिसमें बच्चों को वितरित करने के बजाय गणवेश को नाले में फेंक दिया गया था। मामले में विभागीय अधिकारियों ने जांच उपरांत कार्रवाई भी की थी।